चन्देल वंश: Difference between revisions

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*मदन वर्मन (1129 से 1163 ई.) चंदेल वंश का अन्य पराक्रमी राजा हुआ।  
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*परर्माददेव पर 1173 ई. में चालुक्यों से भिलसा को छीन लिया ।  
*परर्माददेव पर 1173 ई. में चालुक्यों से भिलसा को छीन लिया ।  
*1203 ई. में [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] ने परार्माददेव को पराजित कर कालिंजर पर अधिकार कर लिया और अंततः 1305 ई. में चन्देल राज्य [[दिल्ली]] में मिल गया।
*1203 ई. में [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] ने परार्माददेव को पराजित कर [[कालिंजर]] पर अधिकार कर लिया और अंततः 1305 ई. में चन्देल राज्य [[दिल्ली]] में मिल गया।





Revision as of 04:56, 1 November 2010

जेजाकभुक्ति के प्रारम्भिक शासक प्रतिहार शासकों के सामंत थे। इन्होने खजुराहो को अपनी राजधानी बनाया। नन्नुक इस वंश का पहला राजा था। उसके अतिरिक्त अन्य सामंत थे- वाक्पति, जयशक्ति (सम्भवतः इसके नाम पर ही बुन्देलखण्ड का नाम जेजाक भुक्ति पड़ा) विजय शक्ति, राहिल एवं हर्ष।

विद्याधर के बाद अन्य चन्देल शासक निम्नलिखित थे। -

  • विजयपाल (1030 से 1050 ई.),
  • देववर्मन (1050 से 1060ई.),
  • कीर्तिवर्मन (1060 से 1100ई.),
  • सल्लक्षण वर्मन (1100 से 1115 ई.),
  • जयवर्मन,
  • पृथ्वी वर्मन आदि।
  • मदन वर्मन (1129 से 1163 ई.) चंदेल वंश का अन्य पराक्रमी राजा हुआ।
  • परर्माददेव पर 1173 ई. में चालुक्यों से भिलसा को छीन लिया ।
  • 1203 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने परार्माददेव को पराजित कर कालिंजर पर अधिकार कर लिया और अंततः 1305 ई. में चन्देल राज्य दिल्ली में मिल गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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