रोमन कैथोलिक चर्च सरधना

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  • सरधना स्थित 'रोमन कैथोलिक चर्च' अपनी खूबसूरत कारीगरी के लिए चर्चित है।
  • मैरी को  समर्पित इस चर्च का डिजाइन 'इटालिक वास्तुकार एंथनी रघेलिनी' ने तैयार किया था।
  • 1822 में इस चर्च को बनवाने की लागत 0.5 मिलियन रूपये थी।
  • भवन निर्माण साम्रगी जुटाने के लिए आसपास खुदाई की गई थी।
  • खुदाई वाला हिस्सा आगे चलकर दो झीलों में तब्दील हो गया।
  • इस चर्च में मौजूद माता मरियम की चमत्कारी तस्वीर लोगों के दुख दूर कर देती है। इस तस्वीर के यहां आने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। 1955 में भारत के कुछ पादरी इटली के लैघोर्न शहर स्थित 'कृपाओं की माता' के मशहूर तीर्थ स्थान के दर्शन करने गए थे। वहां के चर्च में माता मरियम की चमत्कारी तस्वीर उन्हें बहुत पसंद आई। इस पर वहां के लोगों ने ठीक वैसी ही एक तस्वीर तैयार करवाई और उसे भारत के लोगों के लिए गिफ्ट कर दिया। इसी तस्वीर को 1957 में बड़े धूमधाम के साथ सरधना चर्च में स्थापित किया गया।
  • ईसाइयों के इस तीर्थ स्थान की बढ़ती प्रसिद्धि को देखते हुए स्वर्गीय पोप जॉन 23 वें ने 19 दिसम्बर 1961 को सरधना स्थित इस चर्च को माइनर बसिलिका की उपाधि दी। बसिलिका गिरजाघरों को दी जाने वाली एक उपाधि है, जो कि चुने हुए गिरजाघरों को दी जाती है। इटैलियन और मुस्लिम निर्माण कला के बेहतरीन कॉम्बिनेशन के रूप में मशहूर इस चर्च का निर्माण सन् 1809 में शुरू हुआ था और करीब ग्यारह साल बाद 1822 में पूरा हुआ।
  • उस वक्त इस चर्च के बनने में 4 लाख रुपये खर्च हुए थे।
  • स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना माने जाने वाले इस चर्च का डिजाइन इटैलियन आर्किटैक्ट एंथोनी रैगलीनी ने तैयार किया था। काफी बड़े इलाके में फैले इस चर्च में प्रवेश करते ही किसी अलग दुनिया में पहुंचने का अहसास होता है। चारों ओर फैली हरियाली खुशनुमा माहौल का अहसास कराती है। थोड़ा आगे चलने पर सामने 18 खंबों का चर्च का बरामदा नजर आता है।
  • चर्च के अंदर प्रवेश करते ही दाईं ओर बेगम समरू की आदमकद मूर्ति नजर आती है। इस पूरे ढांचे में समेत बेगम कल 11 लोग हैं जो कि बेगम के करीबी रहे हैं। इटैलियन मूर्ति कला का बेहतरीन नमूना यह मूर्ति इटली में तैयार की गई थी जिसे बाद में सरधना लाकर स्थापित किया गया।
  • 1836 में बेगम की मौत के बाद उन्हें पहले कहीं ओर दफनाया गया था , लेकिन ढांचा आने के बाद बेगम को चर्च के अंदर दफनाया गया। *अपनी कब्र के ऊपर खड़ी बेगम की मूर्ति अब भी ऐसी लगती है मानों अपने दरबार में लोगों के मुकदमों की सुनवाई कर रही हो।
  • उससे आगे बढ़ने बायीं ओर माता मरियम की चमत्कारी तस्वीर नजर आती है। इस तस्वीर को देखकर एक अलौकिक अहसास की अनुभूति होती है।
  • सामने के हॉल में प्रार्थना को आने वालों के लिए बैठने का स्थान बना हुआ है।
  • नवम्बर के दूसरे हफ्ते में इस पावन तीर्थस्थान में 'कृपाओं की माता' का मेला लगता है जिसमें दूर - दूर से अलग - अलग धर्म के लाखों लोग आते हैं। इसके अलावा 25 दिसम्बर को क्रिसमस के मौके पर भी यहां काफी लोग 'कृपाओं की माता' की प्रार्थना करने के लिए आते हैं।


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