आदित्य (चोल वंश)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 04:47, 7 September 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) ("आदित्य (चोल वंश)" असुरक्षित कर दिया)
Jump to navigation Jump to search
  • आदित्य प्रथम (875-907 ई.), विजयालय का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
  • विजयालय के बाद आदित्य प्रथम लगभग 875 ई. में चोल राजवंश के सिंहासन पर बैठा।
  • उसने पल्लव नरेश अपराजित को पाण्ड्य नरेश 'वरगुण' के ख़िलाफ़ संघर्ष में सैनिक सहायता दी थी।
  • इस सैनिक सहायता के बल पर इस संघर्ष में नरेश अपराजित विजयी हुआ, किन्तु कालान्तर में आदित्य प्रथम ने अपनी साम्राज्य विस्तारवादी महत्त्वाकांक्षा के वशीभूत होकर अपराजित को एक युद्ध में पराजित कर उसकी हत्या कर दी और इस तरह पल्लव राज्य पर चोलों का अधिकार हो गया।
  • इसके फलस्वरूप 895 ई. के लगभग कांची पर भी चोलों का क़ब्ज़ा हो गया और सम्पूर्ण पल्लव राज्य पूरी तरह से चोलों की अधीनता में ले लिया गया।
  • पल्लवों की पराजय के कारण आदित्य के चोल राज्य की उत्तरी सीमा दक्षिणापथ पति राष्ट्रकूटों के राज्य की सीमा के साथ आ लगी।
  • पल्लवों के अतिरिक्त उसने पाण्ड्यों एवं कलिंग देश के गंगों को भी पराजित किया और 'मदुरैकोण्ड' की उपाधि धारण की।
  • 949 ई. में राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय ने पश्चिमी गंगों की सहायता से चोलों पर आक्रमण कर दिया।
  • इस आक्रमण से 'तक्कोलम' के युद्ध में चोल बुरी तरह पराजित हुये तथा साम्राज्य का उत्तरी भाग राष्ट्रकूट साम्राज्य में मिल गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः