मूर्धन्य व्यंजन मूर्धा से उच्चारित होने वाले व्यंजनों को कहा जाता है। जैसे- ट, ठ, ड।
मूर्धन्य का अर्थ
अर्थ |
सिर पर रखने योग्य, श्रेष्ठ, सिर, मस्तक, माथा, शिखर, चोटी। | | व्याकरण | | | विशेष |
मुख के भीतर तालु और ओंठ के बीच का कठोर भाग मूर्धा कहलाता है जहाँ से ट, ठ, ड इत्यादि का उच्चारण होता है। | | संस्कृत |
[ मूर्द्धन् / मूर्धन् + यत्] | | सभी लेख | |
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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