विज्ञापन (सूक्तियाँ)

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क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) मैं ने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या स्नो ख़रीद ले। अपनी चीज़ वह खुद पसंद करती है मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में वह दख़ल देती है। हरिशंकर परसाई
(2) सेवा करके विज्ञापन मत करो, जिसकी सेवा की है, उस पर बोझ मत बनो। हनुमान प्रसाद पोद्दार

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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