Difference between revisions of "हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के अनमोल वचन"
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* बड़ा काम करने के लिए बड़ा [[हृदय]] होना चाहिए। | * बड़ा काम करने के लिए बड़ा [[हृदय]] होना चाहिए। | ||
* जहां स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता है, वहीं मनुष्यता प्रारंभ होती है। | * जहां स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता है, वहीं मनुष्यता प्रारंभ होती है। | ||
− | * प्रेम संयम और तप से | + | * प्रेम संयम और तप से उत्पन्नहोता है। भक्ति साधना से प्राप्त होती है, श्रद्धा के लिए अभ्यास और निष्ठा की ज़रूरत होती है। |
* जिनके भीतर आचरण की दृढ़ता रहती है, वे ही विचार में निर्भीक और स्पष्ट हुआ करते हैं। | * जिनके भीतर आचरण की दृढ़ता रहती है, वे ही विचार में निर्भीक और स्पष्ट हुआ करते हैं। | ||
* बुद्धिमान को स्वेच्छा से सही मार्ग पर चलना चाहिए। विवश होकर किसी बात को मानना मोहग्रस्त मूढ़ लोगों का काम है। | * बुद्धिमान को स्वेच्छा से सही मार्ग पर चलना चाहिए। विवश होकर किसी बात को मानना मोहग्रस्त मूढ़ लोगों का काम है। |
Latest revision as of 10:01, 9 February 2021
hazari prasad dvivedi ke anamol vachan |
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sanbandhit lekh