अज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=अज |लेख का नाम=अज (बहुविकल्पी)}}
*अज [[अयोध्या]] के सूर्यवंशी राजा थे।  
*अज [[अयोध्या]] के सूर्यवंशी राजा थे।  
*राजा [[रघु]] अज के पिता थे।  
*राजा [[रघु]] अज के पिता थे।  
Line 6: Line 8:
राजा रघु ने समय बीतने पर मंत्रियों और कुलगुरु से मंत्रणा करके अपने पुत्र अज को सारा राजपाट सौंप दिया और स्वयं वन के लिए प्रस्थान किया। सूर्य वंशी राजाओं का यह नियम था कि जब पुत्र कुल का भार सम्हालने योग्य हो जाए तो वह उस पर सारा राज्य भार सौंपकर स्वयं वन को चल देते हैं। रघु ने भी उसी परंपरा का पालन किया। अज का विवहा हो जाने पर उसके पिता रघु ने उसको राज्यलक्ष्मी भी सौंप दी और वह स्वयं वन को चले गए। महार्षि [[वसिष्ठ]] ने अज का राज्यभिषेक किया। अयोध्या की प्रजा ने अज को युवा रघु रूप में देखा और उसका उसी प्रकार मान-सम्मान किया।
राजा रघु ने समय बीतने पर मंत्रियों और कुलगुरु से मंत्रणा करके अपने पुत्र अज को सारा राजपाट सौंप दिया और स्वयं वन के लिए प्रस्थान किया। सूर्य वंशी राजाओं का यह नियम था कि जब पुत्र कुल का भार सम्हालने योग्य हो जाए तो वह उस पर सारा राज्य भार सौंपकर स्वयं वन को चल देते हैं। रघु ने भी उसी परंपरा का पालन किया। अज का विवहा हो जाने पर उसके पिता रघु ने उसको राज्यलक्ष्मी भी सौंप दी और वह स्वयं वन को चले गए। महार्षि [[वसिष्ठ]] ने अज का राज्यभिषेक किया। अयोध्या की प्रजा ने अज को युवा रघु रूप में देखा और उसका उसी प्रकार मान-सम्मान किया।
==पत्नी के वियोग में==
==पत्नी के वियोग में==
जब इंदुमती की मृत्यु हुई तो दशरथ उस समय बालक मात्र थे, अतः राजा अज ने उस ओर ध्यान दिया। कुमार दशरथ जब कुछ बड़े हुए तो उन्होंने शिक्षा का समुचित प्रबंध किया। कुमार दशरथ को राजोचित सभी शिक्षाएँ दी जाने लगीं। इस प्रकार पत्नी के वियोग में राजा अज के आठ वर्ष बीत गए।
जब [[इंदुमती]] की मृत्यु हुई तो दशरथ उस समय बालक मात्र थे, अतः राजा अज ने उस ओर ध्यान दिया। कुमार दशरथ जब कुछ बड़े हुए तो उन्होंने शिक्षा का समुचित प्रबंध किया। कुमार दशरथ को राजोचित सभी शिक्षाएँ दी जाने लगीं। इस प्रकार पत्नी के वियोग में राजा अज के आठ वर्ष बीत गए।
 
==शरीर का त्याग==
==शरीर का त्याग==
राजा अज ने देखा कि उनके कुमार दशरथ सब प्रकार से प्रजा पालन करने के योग्य हो गए हैं तो उन्होंने पार्थिव शरीर को त्यागने का निश्चय कर लिया। पत्नी के वियोग के कारण शारीरिक नियमों का ठीक से पालन न होने का निश्चय कर अनशन आरंभ कर दिया। राजा अज को अधिक दिन तक अनशन नहीं करना पड़ा, शीघ्र ही उनके प्राण रूग्ण-देह को छोड़कर [[पंचतत्त्व]] में विलीन हो गए।
राजा अज ने देखा कि उनके कुमार दशरथ सब प्रकार से प्रजा पालन करने के योग्य हो गए हैं तो उन्होंने पार्थिव शरीर को त्यागने का निश्चय कर लिया। पत्नी के वियोग के कारण शारीरिक नियमों का ठीक से पालन न होने का निश्चय कर अनशन आरंभ कर दिया। राजा अज को अधिक दिन तक अनशन नहीं करना पड़ा, शीघ्र ही उनके प्राण रूग्ण-देह को छोड़कर [[पंचतत्त्व]] में विलीन हो गए।

Latest revision as of 06:24, 12 February 2016

चित्र:Disamb2.jpg अज एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अज (बहुविकल्पी)

परंपरा का पालन

  1. REDIRECTसाँचा:नीलाइन्हें भी देखें
  2. REDIRECTसाँचा:नीला बन्द: सूर्यवंश वृक्ष

राजा रघु ने समय बीतने पर मंत्रियों और कुलगुरु से मंत्रणा करके अपने पुत्र अज को सारा राजपाट सौंप दिया और स्वयं वन के लिए प्रस्थान किया। सूर्य वंशी राजाओं का यह नियम था कि जब पुत्र कुल का भार सम्हालने योग्य हो जाए तो वह उस पर सारा राज्य भार सौंपकर स्वयं वन को चल देते हैं। रघु ने भी उसी परंपरा का पालन किया। अज का विवहा हो जाने पर उसके पिता रघु ने उसको राज्यलक्ष्मी भी सौंप दी और वह स्वयं वन को चले गए। महार्षि वसिष्ठ ने अज का राज्यभिषेक किया। अयोध्या की प्रजा ने अज को युवा रघु रूप में देखा और उसका उसी प्रकार मान-सम्मान किया।

पत्नी के वियोग में

जब इंदुमती की मृत्यु हुई तो दशरथ उस समय बालक मात्र थे, अतः राजा अज ने उस ओर ध्यान दिया। कुमार दशरथ जब कुछ बड़े हुए तो उन्होंने शिक्षा का समुचित प्रबंध किया। कुमार दशरथ को राजोचित सभी शिक्षाएँ दी जाने लगीं। इस प्रकार पत्नी के वियोग में राजा अज के आठ वर्ष बीत गए।

शरीर का त्याग

राजा अज ने देखा कि उनके कुमार दशरथ सब प्रकार से प्रजा पालन करने के योग्य हो गए हैं तो उन्होंने पार्थिव शरीर को त्यागने का निश्चय कर लिया। पत्नी के वियोग के कारण शारीरिक नियमों का ठीक से पालन न होने का निश्चय कर अनशन आरंभ कर दिया। राजा अज को अधिक दिन तक अनशन नहीं करना पड़ा, शीघ्र ही उनके प्राण रूग्ण-देह को छोड़कर पंचतत्त्व में विलीन हो गए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख