सातवाहन वंश: Difference between revisions

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'''सातवाहन वंश''' (60 ई.पू. से 240 ई.) [[भारत]] का प्राचीन राजवंश था, जिसने केन्द्रीय [[दक्षिण भारत]] पर शासन किया था। [[भारतीय इतिहास]] में यह राजवंश 'आन्ध्र वंश' के नाम से भी विख्यात है। सातवाहन वंश का प्रारम्भिक राजा [[सिमुक]] था। इस वंश के राजाओं ने विदेशी आक्रमणकारियों से जमकर संघर्ष किया था। इन राजाओं ने [[शक]] आक्रांताओं को सहजता से भारत में पैर नहीं जमाने दिये।
==इतिहास==
भारतीय परिवार, जो [[पुराण|पुराणों]] (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार आंध्र जाति (जनजाति) का था और 'दक्षिणापथ' अर्थात दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला पहला दक्कनी वंश था। इस वंश का आरंभ 'सिभुक' अथवा 'सिंधुक' नामक व्यक्ति ने दक्षिण में [[कृष्णा नदी|कृष्णा]] और [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] नदियों की घाटी में किया था। इस वश को 'आंध्र राजवंश' के नाम भी जाना जाता है। सातवाहन वंश के अनेक प्रतापी सम्राटों ने विदेशी [[शक]] आक्रान्ताओं के विरुद्ध भी अनुपम सफलता प्राप्त की थी। दक्षिणापथ के इन राजाओं का वृत्तान्त न केवल उनके सिक्कों और [[शिलालेख|शिलालेखों]] से जाना जाता है, अपितु अनेक ऐसे साहित्यिक [[ग्रंथ]] भी उपलब्ध हैं, जिनसे इस राजवंश के कतिपय राजाओं के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं।
==शासक राजा==
सातवाहन वंश के राजाओं के नाम निम्नलिखित हैं-
#[[सिमुक]]
#[[सातकर्णि]]
#[[गौतमीपुत्र सातकर्णि]]
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#[[कुन्तल सातकर्णि]]


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सातवाहन भारत का एक राजवंश था । जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया । इस वंश का आरंभ सिभुक अथवा सिंधुक नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था।  इसे '''आंध्र राजवंश''' भी कहते हैं। वंश के संस्थापक विभुक ने 60 ई॰पू॰ से 37 ई॰पू॰ तक राज्य किया।  उसके बाद उसका भाई कृष्ण और फिर कृष्ण का पुत्र सातकर्णी प्रथम  गद्दी पर बैठा। इसी के शासनकाल में सातवाहन वंश को सबसे अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।  वह ,खारवेल का समकालीन था।  '''उसने गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठानगर को अपनी राजधानी बनाया।'''  इस वंश में कुल 27 शासक हुए।  ये हिन्दू धर्म के अनुयायी थे।  साथ ही इन्होंने [[बौद्ध]] और [[जैन]] विहारों को भी सहायता प्रदान की। यह [[मौर्य वंश]] के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ  8 वीं सदी ईसा पूर्व में इनका उल्लेख मिलता है । [[अशोक]] की मृत्यु (सन् 232 ईसा पूर्व) के बाद सातवाहनों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था ।
==संबंधित लेख==
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[[Category:इतिहास कोश]]
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सातवाहन वंश (60 ई.पू. से 240 ई.) भारत का प्राचीन राजवंश था, जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया था। भारतीय इतिहास में यह राजवंश 'आन्ध्र वंश' के नाम से भी विख्यात है। सातवाहन वंश का प्रारम्भिक राजा सिमुक था। इस वंश के राजाओं ने विदेशी आक्रमणकारियों से जमकर संघर्ष किया था। इन राजाओं ने शक आक्रांताओं को सहजता से भारत में पैर नहीं जमाने दिये।

इतिहास

भारतीय परिवार, जो पुराणों (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार आंध्र जाति (जनजाति) का था और 'दक्षिणापथ' अर्थात दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला पहला दक्कनी वंश था। इस वंश का आरंभ 'सिभुक' अथवा 'सिंधुक' नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था। इस वश को 'आंध्र राजवंश' के नाम भी जाना जाता है। सातवाहन वंश के अनेक प्रतापी सम्राटों ने विदेशी शक आक्रान्ताओं के विरुद्ध भी अनुपम सफलता प्राप्त की थी। दक्षिणापथ के इन राजाओं का वृत्तान्त न केवल उनके सिक्कों और शिलालेखों से जाना जाता है, अपितु अनेक ऐसे साहित्यिक ग्रंथ भी उपलब्ध हैं, जिनसे इस राजवंश के कतिपय राजाओं के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं।

शासक राजा

सातवाहन वंश के राजाओं के नाम निम्नलिखित हैं-

  1. सिमुक
  2. सातकर्णि
  3. गौतमीपुत्र सातकर्णि
  4. वासिष्ठी पुत्र पुलुमावि
  5. कृष्ण द्वितीय सातवाहन
  6. राजा हाल
  7. महेन्द्र सातकर्णि
  8. कुन्तल सातकर्णि


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख