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|उदाहरण=यह '''दृश्य''' तीन प्रकार का माना गया है।—अव्याक्रत, मूर्त और अमूर्त, साहित्य में, ऐसा काव्य या रचना जिसका अभिनय हो सकता या होता हो। नाटक, कोई ऐसा तमाशा या मनोरंजक व्यापार जो आँखों के सामने हो रहा हो या होता हो, गणित में वह ज्ञात संख्या जो अंकों के रूप दी गई हो। | |उदाहरण=यह '''दृश्य''' तीन प्रकार का माना गया है।—अव्याक्रत, मूर्त और अमूर्त, साहित्य में, ऐसा काव्य या रचना जिसका अभिनय हो सकता या होता हो। नाटक, कोई ऐसा तमाशा या मनोरंजक व्यापार जो आँखों के सामने हो रहा हो या होता हो, गणित में वह ज्ञात संख्या जो अंकों के रूप दी गई हो। | ||
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हिन्दी | जो देखने में आ सके या दिखाई दे सके। जिसे देख सकते हों। चाक्षुस। जैसे—दृश्य जगत् या पदार्थ, जो दिखाई देता हो, जो ठीक तरह से जाना जाता या समझ में आता हो। ज्ञेय और स्पष्ट, जो देखे जाने के योग्य हो, दर्शनीय। मनोरम। सुंदर, वह घटना, पदार्थ या स्थल जो आँखों से दिखाई दोता हो, ज्ञान स्वरूप चैतन्य को द्रष्टाऔर अचेतन अनात्मभूत जड़ को दृश्य कहा गया है। |
-व्याकरण | धातु, विशेषण |
-उदाहरण | यह दृश्य तीन प्रकार का माना गया है।—अव्याक्रत, मूर्त और अमूर्त, साहित्य में, ऐसा काव्य या रचना जिसका अभिनय हो सकता या होता हो। नाटक, कोई ऐसा तमाशा या मनोरंजक व्यापार जो आँखों के सामने हो रहा हो या होता हो, गणित में वह ज्ञात संख्या जो अंकों के रूप दी गई हो। |
-विशेष | भारतीय श्रौत दर्शनों में दो तत्व माने गये हैं—द्रष्टाऔर दृश्य। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | चाक्षुष, संदृश्य। |
संस्कृत | दृश्+क्यप् |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | परिदृश्य |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
संबंधित लेख
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टीका टिप्पणी और संदर्भ