डेल्टा: Difference between revisions
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नदी के जल की [[गति]] में क्रमश: न्यूनता आने के कारण डेल्टा क्षेत्रों में सर्वप्रथम बड़े कणों का और अंत में छोटे कणों का संचयन होता है। अति सूक्ष्म कण धाराओं द्वारा [[समुद्र]] में दूर तक प्रवाहित होते हैं। इस प्रकार डेल्टा के समुद्रवर्ती भाग में छोटे कण तथा पृष्ठ भाग में बड़े कण मिलते हैं। | नदी के जल की [[गति]] में क्रमश: न्यूनता आने के कारण डेल्टा क्षेत्रों में सर्वप्रथम बड़े कणों का और अंत में छोटे कणों का संचयन होता है। अति सूक्ष्म कण धाराओं द्वारा [[समुद्र]] में दूर तक प्रवाहित होते हैं। इस प्रकार डेल्टा के समुद्रवर्ती भाग में छोटे कण तथा पृष्ठ भाग में बड़े कण मिलते हैं। | ||
==शाखानदी का निर्माण== | ==शाखानदी का निर्माण== | ||
अवसादों की अधिकता तथा प्रवाह वेग के मंद होने के कारण डेल्टा क्षेत्र में नदी की मुख्य धारा अनेक शाखाओं में विभक्त हो जाती है, जिन्हें 'शाखानदी'<ref>distributary</ref> कहते हैं। निरंतर अवसादों के संचयन से डेल्टा भाग क्रमश: समुद्र की ओर अग्रसर होता रहता है। [[गंगा]], [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]], ह्रांग हो, [[नील नदी|नील]], पो और | अवसादों की अधिकता तथा प्रवाह वेग के मंद होने के कारण डेल्टा क्षेत्र में नदी की मुख्य धारा अनेक शाखाओं में विभक्त हो जाती है, जिन्हें 'शाखानदी'<ref>distributary</ref> कहते हैं। निरंतर अवसादों के संचयन से डेल्टा भाग क्रमश: समुद्र की ओर अग्रसर होता रहता है। [[गंगा]], [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]], ह्रांग हो, [[नील नदी|नील]], पो और [[मिसीसिपी नदी|मिसीसिपी]] नदियों के डेल्टे विश्व के कुछ महत्वपूर्ण डेल्टों में से हैं। | ||
====उदाहरण==== | ====उदाहरण==== | ||
[[नील नदी]] का डेल्टा इसका सुंदर उदाहरण है। जब कोई पहाड़ी नदी समतल मैदानी अथवा पठारी प्रदेश में पहुँचती है तो [[जल]] के वेग में आकस्मिक क्षीणता के कारण भी पर्वत पाद पर अवसादों के कुछ भाग का निक्षेपण होता है। ये निक्षेप साधारणत: त्रिभुजाकार होते हैं। इन्हें 'जलौढ़ पंखा'<ref>alluvial fan</ref>, 'शंकु डेल्टा'<ref>cone delta</ref> अथवा 'पंखा डेल्टा'<ref>fan delta</ref> कहते हैं। | [[नील नदी]] का डेल्टा इसका सुंदर उदाहरण है। जब कोई पहाड़ी नदी समतल मैदानी अथवा पठारी प्रदेश में पहुँचती है तो [[जल]] के वेग में आकस्मिक क्षीणता के कारण भी पर्वत पाद पर अवसादों के कुछ भाग का निक्षेपण होता है। ये निक्षेप साधारणत: त्रिभुजाकार होते हैं। इन्हें 'जलौढ़ पंखा'<ref>alluvial fan</ref>, 'शंकु डेल्टा'<ref>cone delta</ref> अथवा 'पंखा डेल्टा'<ref>fan delta</ref> कहते हैं। |
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डेल्टा प्राय: उस भूभाग को कहा जाता है, जो नदी द्वारा लाए गए अवसादों के संचयन से निर्मित हाता है। विशेषत: नदी के मुहाने पर, जहाँ वह किसी समुद्र अथवा झील में गिरती है। इस भूभाग का आकार साधारणत: त्रिभुज जैसा होता है।
निर्माण तथा विस्तार
डेल्टा का निर्माण तथा इसका विस्तार मुख्यत: सागर अथवा झील में प्रवाहित धाराओं के वेग पर निर्भर है। वेगवती धाराएँ अथवा ऊँचे ज्वार, जो नदी द्वारा एकत्रित अवसादों को तट से दूर ले जाते हैं, डेल्टा निर्माण में बाधक होते हैं और बहुधा लंबे तटीय द्वीपों, बलुई भित्ति या बलुई संलग्न भित्ति[1] का निर्माण करते हैं अथवा अवसादों को सागर नितल पर फैला देते हैं। इसके विपरीत धाराओं एवं ज्वारों की क्षीणता डेल्टा निर्माण में सहायक है। नदी द्वारा लाए गए अवसादों का बाहूल्य भी महत्वपूर्ण सहायक दशा है। ज्वार रहित रूम सागर तथा मेक्सिकों की खाड़ी में डेल्टा की प्रचुरता है। समुद्र तट के घँसने से भी डेल्टा निर्माण में बाधा तथा खुले मुहानों[2] के निर्माण में सहायता मिलती है।
कणों का संचयन
नदी के जल की गति में क्रमश: न्यूनता आने के कारण डेल्टा क्षेत्रों में सर्वप्रथम बड़े कणों का और अंत में छोटे कणों का संचयन होता है। अति सूक्ष्म कण धाराओं द्वारा समुद्र में दूर तक प्रवाहित होते हैं। इस प्रकार डेल्टा के समुद्रवर्ती भाग में छोटे कण तथा पृष्ठ भाग में बड़े कण मिलते हैं।
शाखानदी का निर्माण
अवसादों की अधिकता तथा प्रवाह वेग के मंद होने के कारण डेल्टा क्षेत्र में नदी की मुख्य धारा अनेक शाखाओं में विभक्त हो जाती है, जिन्हें 'शाखानदी'[3] कहते हैं। निरंतर अवसादों के संचयन से डेल्टा भाग क्रमश: समुद्र की ओर अग्रसर होता रहता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र, ह्रांग हो, नील, पो और मिसीसिपी नदियों के डेल्टे विश्व के कुछ महत्वपूर्ण डेल्टों में से हैं।
उदाहरण
नील नदी का डेल्टा इसका सुंदर उदाहरण है। जब कोई पहाड़ी नदी समतल मैदानी अथवा पठारी प्रदेश में पहुँचती है तो जल के वेग में आकस्मिक क्षीणता के कारण भी पर्वत पाद पर अवसादों के कुछ भाग का निक्षेपण होता है। ये निक्षेप साधारणत: त्रिभुजाकार होते हैं। इन्हें 'जलौढ़ पंखा'[4], 'शंकु डेल्टा'[5] अथवा 'पंखा डेल्टा'[6] कहते हैं।
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