आस्तिक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (श्रेणी:हिन्दू कोश; Adding category Category:हिन्दू धर्म कोश (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
Line 2: Line 2:
आस्तिक [[दर्शन शास्त्र]] में वह कहलाता है जो ईश्वर, परलोक और धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण में विश्वास रखता हो।  
आस्तिक [[दर्शन शास्त्र]] में वह कहलाता है जो ईश्वर, परलोक और धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण में विश्वास रखता हो।  
{{शब्द संदर्भ
{{शब्द संदर्भ
|हिन्दी=ईश्वर और परलोक को मानने वाला, वेद को मानने वाला, ईश्वर और परलोक में विश्वासी व्यक्ति, धार्मिक व्यक्ति, वह जिसका विश्वास ईश्वर, परलोक पुनर्जन्म आदि में हो, वह जिसका विश्वास पुरानी प्रथाओं, रीतियों आदि में हो।
|हिन्दी=ईश्वर और परलोक को मानने वाला, [[वेद]] को मानने वाला, ईश्वर और परलोक में विश्वासी व्यक्ति, धार्मिक व्यक्ति, वह जिसका विश्वास ईश्वर, परलोक पुनर्जन्म आदि में हो, वह जिसका विश्वास पुरानी प्रथाओं, रीतियों आदि में हो।
|व्याकरण=[[विशेषण]], पुल्लिंग
|व्याकरण=[[विशेषण]], पुल्लिंग
|उदाहरण=जो व्यक्ति ईश्वर में विश्वास रखता है उसे आस्तिक कहते है।
|उदाहरण=जो व्यक्ति ईश्वर में विश्वास रखता है उसे आस्तिक कहते है।

Revision as of 07:45, 22 April 2011

शाब्दिक अर्थ

आस्तिक दर्शन शास्त्र में वह कहलाता है जो ईश्वर, परलोक और धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण में विश्वास रखता हो।

हिन्दी ईश्वर और परलोक को मानने वाला, वेद को मानने वाला, ईश्वर और परलोक में विश्वासी व्यक्ति, धार्मिक व्यक्ति, वह जिसका विश्वास ईश्वर, परलोक पुनर्जन्म आदि में हो, वह जिसका विश्वास पुरानी प्रथाओं, रीतियों आदि में हो।
-व्याकरण    विशेषण, पुल्लिंग
-उदाहरण  
(शब्द प्रयोग)  
जो व्यक्ति ईश्वर में विश्वास रखता है उसे आस्तिक कहते है।
-विशेष   
-विलोम   नास्तिक
-पर्यायवाची   
संस्कृत अस्ति+ठक्
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख
अन्य भाषाओं मे
भाषा असमिया उड़िया उर्दू कन्नड़ कश्मीरी कोंकणी गुजराती
शब्द आस्तिक आस्तिक ख़ुदापरस्त आस्तिक आस्त्यख आस्तिक
भाषा डोगरी तमिल तेलुगु नेपाली पंजाबी बांग्ला बोडो
शब्द आस्तिकनान आस्तिकुडु आसतक आस्तिक, ईश्वर विश्वासी (श्श) (श्शा)
भाषा मणिपुरी मराठी मलयालम मैथिली संथाली सिंधी अंग्रेज़ी
शब्द आस्तिक आस्तिकन् आस्तिकु Believer

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

दर्शन शास्त्र में

भारत में यह कहावत प्रचलित है - 'नास्तिको वेदनिन्दक:' अर्थात वेद की निंदा करने वाला नास्तिक है। इसलिए भारत के नौ दर्शनों में से वेद का प्रमाण मानने वाले छह दर्शन - न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा (वेदांत) - आस्तिक दर्शन कहलाते हैं और शेष तीन दर्शन - बौद्ध, जैन और चार्वाक-इसलिए नास्तिक कहे जाते हैं क्योंकि ये दर्शन वेदों को प्रमाण नहीं मानते। बौद्ध और जैन दर्शन अपने को आस्तिक दर्शन इसलिए मानते हैं कि वे परलोक, स्वर्ग, नरक, और मृत्युपरांत जीवन में विश्वास करते हैं, यद्यपि वेदों और ईश्वर में विश्वास नहीं करते।

ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास

वेदों को प्रमाण मानने के कारण आस्तिक कहलाने वाले सभी भारतीय दर्शन सृष्टि करने वाले ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करते। यदि ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास करने वाले दर्शनों को ही आस्तिक कहा जाय तो केवल न्याय, वैशेषिक, योग और वेदांत ही आस्तिक दर्शन कहे जा सकते हैं। पुराने वैशेषिक दर्शन, कणाद के सूत्रों में भी ईश्वर का कोई विशेष स्थान नहीं है। प्रशस्तपाद ने अपने भाष्य में ही ईश्वर के कार्य का संकेत किया है। योग का ईश्वर भी सृष्टिकर्ता ईश्वर नहीं है। सांख्य और पूर्वमीमांसा सृष्टिकर्ता ईश्वर को नहीं मानते। यदि भौतिक और नाशवान शरीर के अतिरिक्त तथा शरीर के गुण और धर्मों के अतिरिक्त और भिन्न गुण और धर्मवाले किसी प्रकार के आत्मतत्व में विश्वास रखनेवाले को आस्तिक कहा जाय तो केवल चार्वाक दर्शन को छोड़कर भारत के प्राय: सभी दर्शन आस्तिक हैं, यद्यपि बौद्ध दर्शन में 'आत्मतत्व' को भी क्षणिक और संघात्मक माना गया है। बौद्ध लोग भी शरीर को आत्मा नहीं मानते।

पाश्चात्य दर्शन के अनुसार

आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के अनुसार आस्तिक उसे कहते हैं जो केवल जीवन के उच्चतम मूल्यों, अर्थात सत्य, धर्म और सौंदर्य के अस्तित्व और प्राप्यत्व में विश्वास करता हो। पाश्चात्य देशों में आजकल कुछ ऐसे मत चले हैं जो केवल दृष्ट, ज्ञात अथवा ज्ञातव्य पदार्थों में ही विश्वास करते हैं और आत्मा, परलोक, ईश्वर और जीवन से परे के मूल्यों में नहीं करते। वे समझते हैं कि विज्ञान द्वारा ये सिद्ध नहीं किए जा सकते। ये केवल दार्शनिक कल्पनाएं हैं और वास्तविक नहीं हैं; केवल मृगतृष्णा के समान मिथ्या विश्वास हैं। उनके अनुसार आस्तिक (पोज़िटिविस्ट) वही है जो ऐहिक और लौकिक सत्ता में विश्वास रखता हो और दर्शन मिथ्या कल्पनाओं से मुक्त हो। इस दृष्टि से तो भारत का केवल एक दर्शन-चार्वाक ही आस्तिक है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख