गांगेयदेव विक्रमादित्य: Difference between revisions

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'''गांगेयदेव विक्रमादित्य''' (1019 से 1040 ई.) [[यमुना नदी|यमुना]] और [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] नदियों के बीच में स्थित [[चेदि जनपद|चेदि]] का राजा था। वह [[कलचुरी वंश]] के कोकल्ल द्वितीय का पुत्र था। अपने पूर्वजों के समान ही गांगेयदेव भी [[शैव मत|शैवमतानुयायी]] था।  
*गांगेय देव कोकल्ल द्वितीय का पुत्र था।
*उसने भोज परमार एवं राजेन्द्र चोल के साथ एक संघ बनाकर चालुक्य नरेश जयसिंह पर आक्रमण किया, पर सफलता उसके हाथ नहीं लगी।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Revision as of 12:59, 9 March 2013

गांगेयदेव विक्रमादित्य (1019 से 1040 ई.) यमुना और नर्मदा नदियों के बीच में स्थित चेदि का राजा था। वह कलचुरी वंश के कोकल्ल द्वितीय का पुत्र था। अपने पूर्वजों के समान ही गांगेयदेव भी शैवमतानुयायी था।

  • गांगेयदेव एक योग्य, साहसी और महत्वाकांक्षी शासक के रूप में जाना जाता था।
  • उसने 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण करते हुए उत्तर भारत में सर्वशक्तिमान सार्वभौम सम्राट की भाँति स्थिति प्राप्त करने की पूरी कोशिश की।
  • गांगेयदेव ने भोज परमार एवं राजेन्द्र चोल के साथ एक संघ बनाकर चालुक्य नरेश जयसिंह पर आक्रमण किया, पर सफलता उसके हाथ नहीं लगी।
  • बाद के समय में उसने अंग, उत्कल, काशी एवं प्रयाग को जीत कर कलचुरी राज्य का विस्तार किया।
  • 1019 ई. में गांगेयदेव ने सुदूर तिरहुत (आधुनिक उत्तरी बिहार) तक अपनी प्रभुसत्ता स्थापित की।
  • उसने पश्चिमोत्तर के विदेशी हमलावरों और बंगाल के पाल राजाओं से प्रयाग और वाराणसी नगरों की रक्षा की थी।
  • उसके बाद उसका पुत्र कर्ण या लक्ष्मीकर्ण (1040-1070 ई.) गद्दी पर बैठा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख