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'''विषुव''' [[वर्षा]] का वह समय है, जब [[सूर्य]] विषुवत रेखा पर दोपहर के समय ऊर्ध्वाधर होता है।
'''विषुव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Equinox'') [[वर्ष]] का वह समय है, जब [[सूर्य]] विषुवत रेखा पर दोपहर के समय ऊर्ध्वाधर होता है। इस समय दोनों गोलार्द्धों में समान [[प्रकाश]] एवं [[ऊर्जा]] प्राप्त होती है। [[पृथ्वी]] पर दिन तथा रात की अवधि भी समान हो जाती है। यह स्थिति वर्ष में दो बार आती है। [[21 मार्च]] तथा [[23 सितम्बर]] इसकी दो प्रमुख तिथियाँ हैं।


*इस समय दोनों गोलार्द्धों में समान [[प्रकाश]] एवं [[ऊर्जा]] प्राप्त होती है।
*विषुव का शब्दिक अर्थ होता है- 'समान'। 'विषुव' शब्द [[संस्कृत]] से है और इसका अर्थ दिन और रात्रि के समान होने से है (दिनरात्र्योः साम्यं वाति वा)।
*इक्वीनॉक्स शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'एक्वस' (समान) और 'नॉक्स' (रात्रि) से लिया गया है।
*किसी क्षेत्र में दिन और रात की लंबाई को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी होते हैं। [[पृथ्वी]] अपनी धुरी पर 23½° झुके हुए [[सूर्य]] के चक्कर लगाती है, इस प्रकार वर्ष में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी रहती है व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है।
*इसी प्रकार वर्ष में दो बार ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है और न ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इस स्थिति को विषुव या इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है।
*यदि दो लोग [[भूमध्य रेखा]] से समान दूरी पर खड़े हों तो उन्हें दिन और रात की लंबाई बराबर महसूस होगी।
*ग्रेगोरियन वर्ष के आरंभ होते समय ([[जनवरी]] में) [[सूर्य]] दक्षिणी गोलार्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्ध को अग्रसर होता है। वर्ष के समाप्त होने ([[दिसम्बर]]) तक सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुँच जाता है। इस तरह से सूर्य वर्ष में दो बार भूमध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है।
*हिन्दू नववर्ष एवं भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर व विश्व में अन्य कई नववर्ष इसी समय के निकट ही आरंभ हुआ करते हैं।


*[[पृथ्वी]] पर दिन तथा रात की अवधि भी समान हो जाती है।
*यह स्थिति वर्ष में दो बार आती है।
*21 मार्च तथा 23 सितम्बर इसकी दो प्रमुख तिथियाँ हैं।


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विषुव (अंग्रेज़ी: Equinox) वर्ष का वह समय है, जब सूर्य विषुवत रेखा पर दोपहर के समय ऊर्ध्वाधर होता है। इस समय दोनों गोलार्द्धों में समान प्रकाश एवं ऊर्जा प्राप्त होती है। पृथ्वी पर दिन तथा रात की अवधि भी समान हो जाती है। यह स्थिति वर्ष में दो बार आती है। 21 मार्च तथा 23 सितम्बर इसकी दो प्रमुख तिथियाँ हैं।

  • विषुव का शब्दिक अर्थ होता है- 'समान'। 'विषुव' शब्द संस्कृत से है और इसका अर्थ दिन और रात्रि के समान होने से है (दिनरात्र्योः साम्यं वाति वा)।
  • इक्वीनॉक्स शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'एक्वस' (समान) और 'नॉक्स' (रात्रि) से लिया गया है।
  • किसी क्षेत्र में दिन और रात की लंबाई को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी होते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर 23½° झुके हुए सूर्य के चक्कर लगाती है, इस प्रकार वर्ष में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी रहती है व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है।
  • इसी प्रकार वर्ष में दो बार ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है और न ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इस स्थिति को विषुव या इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है।
  • यदि दो लोग भूमध्य रेखा से समान दूरी पर खड़े हों तो उन्हें दिन और रात की लंबाई बराबर महसूस होगी।
  • ग्रेगोरियन वर्ष के आरंभ होते समय (जनवरी में) सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्ध को अग्रसर होता है। वर्ष के समाप्त होने (दिसम्बर) तक सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुँच जाता है। इस तरह से सूर्य वर्ष में दो बार भूमध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है।
  • हिन्दू नववर्ष एवं भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर व विश्व में अन्य कई नववर्ष इसी समय के निकट ही आरंभ हुआ करते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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