ब्रजभाषा का विस्तार: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''शुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी''' मथुरा, अलीगढ़, ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
m (Text replacement - " एंव " to " एवं ")
Line 1: Line 1:
'''शुद्ध रूप में [[ब्रजभाषा]] आज भी''' [[मथुरा]], [[अलीगढ़]], [[आगरा]], [[भरतपुर]] और धौलपुर ज़िलों में बोली जाती है। ब्रजभाषा का कुछ मिश्रित रूप [[जयपुर]] राज्य के पूर्वी भाग तथा बुलंदशहर, मैनपुरी, [[एटा]], [[बरेली]] और [[बदायूँ]] ज़िलों तक बोला जाता है। ग्रिर्यसन महोदय ने अपने भाषा सर्वे में पीलीभीत, [[शाहजहाँपुर]], फर्रूख़ाबाद, हरदोई, [[इटावा]] तथा [[कानपुर]] की बोली को कन्नौजी नाम दिया है, किन्तु वास्तव में यहाँ की बोली मैनपुरी, एटा बरेली और बदायूँ की बोली से भिन्न नहीं हैं। अधिक से अधिक हम इन सब ज़िलों की बोली को 'पूर्वी ब्रज' कह सकते हैं। सच तो यह है कि, [[बुन्देलखंड]] की बुन्देली बोली भी ब्रजभाषा का ही रुपान्तरण है। बुन्देली 'दक्षिणी ब्रज' कहला सकती है।<ref>ब्रजभाषा व्याकरण, (प्रथम संस्करण 1937 ई.) पृ. 13</ref> डॉ. गुलाबराय के अनुसार- "ब्रजभाषा का क्षेत्र निम्न प्रकार है- मथुरा, आगरा, अलीगढ़ ज़िलों को केन्द्र मानकर उत्तर में यह अल्मोड़ा, [[नैनीताल]] और [[बिजनौर]] ज़िलों तक फैली है। दक्षिण में धौलपुर, [[ग्वालियर]] तक, पूर्व में [[कन्नौज]] और [[कानपुर]] ज़िलों तक, पश्चिम में भरतपुर और गुडगाँव ज़िलों तक इसकी सीमा है।
'''शुद्ध रूप में [[ब्रजभाषा]] आज भी''' [[मथुरा]], [[अलीगढ़]], [[आगरा]], [[भरतपुर]] और धौलपुर ज़िलों में बोली जाती है। ब्रजभाषा का कुछ मिश्रित रूप [[जयपुर]] राज्य के पूर्वी भाग तथा बुलंदशहर, मैनपुरी, [[एटा]], [[बरेली]] और [[बदायूँ]] ज़िलों तक बोला जाता है। ग्रिर्यसन महोदय ने अपने भाषा सर्वे में पीलीभीत, [[शाहजहाँपुर]], फर्रूख़ाबाद, हरदोई, [[इटावा]] तथा [[कानपुर]] की बोली को कन्नौजी नाम दिया है, किन्तु वास्तव में यहाँ की बोली मैनपुरी, एटा बरेली और बदायूँ की बोली से भिन्न नहीं हैं। अधिक से अधिक हम इन सब ज़िलों की बोली को 'पूर्वी ब्रज' कह सकते हैं। सच तो यह है कि, [[बुन्देलखंड]] की बुन्देली बोली भी ब्रजभाषा का ही रुपान्तरण है। बुन्देली 'दक्षिणी ब्रज' कहला सकती है।<ref>ब्रजभाषा व्याकरण, (प्रथम संस्करण 1937 ई.) पृ. 13</ref> डॉ. गुलाबराय के अनुसार- "ब्रजभाषा का क्षेत्र निम्न प्रकार है- मथुरा, आगरा, अलीगढ़ ज़िलों को केन्द्र मानकर उत्तर में यह अल्मोड़ा, [[नैनीताल]] और [[बिजनौर]] ज़िलों तक फैली है। दक्षिण में धौलपुर, [[ग्वालियर]] तक, पूर्व में [[कन्नौज]] और [[कानपुर]] ज़िलों तक, पश्चिम में भरतपुर और गुडगाँव ज़िलों तक इसकी सीमा है।


भाषायी सर्वेक्षण तथा अन्य अनुवेषणों के आधार पर श्रीकृष्णदत्त वाजपेयी ने ब्रजभाषा - भाषी क्षेत्र निम्नलिखित है- मथुरा ज़िला, [[राजस्थान]] का भरतपुर ज़िला तथा करौली का उत्तरी अंश जो भरतपुर एंव धौलपुर की सीमाओं से मिला-जुला है। सम्पूर्ण धौलपुर ज़िला, मध्य [[भारत]] में [[मुरैना]] से भिण्ड ज़िले और गिर्द ग्वालियर का लगभग 26 अक्षांश से ऊपर का उत्तरी भाग (यहाँ की ब्रजबोली में बुंदेली की झलक है), सम्पूर्ण आगरा ज़िला, इटावा ज़िले का पश्चिमी भाग (लगभग इटावा शहर की सीध [[देशान्तर]] 79 तक), मैनपुरी ज़िला तथा एटा ज़िला (पूर्व के कुछ अंशों को छोड़कर, जो फ़र्रुख़ाबाद ज़िले की सीमा से मिले-जुले है), अलीगढ़ ज़िला (उत्तर पूर्व में [[गंगा नदी|गंगा]] नदी की सीमा तक), बुलंदशहर का दक्षिणी आधा भाग (पूर्व में [[अनूपशहर]] की सीध से लेकर), गुड़गाँव ज़िले का दक्षिणी अंश, (पलवल की सीध से) तथा अलवर ज़िले का पूर्वी भाग, जो गुडगाँव ज़िले की दक्षिणी तथा भरतपुर की पश्चिमी सीमा से मिला-जुला है।<ref>वाजपेयी, के. डी., ब्रज का इतिहास प्रथम खंड, प्रथम संस्करण, 1955 ई., पृ. 3-4</ref>
भाषायी सर्वेक्षण तथा अन्य अनुवेषणों के आधार पर श्रीकृष्णदत्त वाजपेयी ने ब्रजभाषा - भाषी क्षेत्र निम्नलिखित है- मथुरा ज़िला, [[राजस्थान]] का भरतपुर ज़िला तथा करौली का उत्तरी अंश जो भरतपुर एवं धौलपुर की सीमाओं से मिला-जुला है। सम्पूर्ण धौलपुर ज़िला, मध्य [[भारत]] में [[मुरैना]] से भिण्ड ज़िले और गिर्द ग्वालियर का लगभग 26 अक्षांश से ऊपर का उत्तरी भाग (यहाँ की ब्रजबोली में बुंदेली की झलक है), सम्पूर्ण आगरा ज़िला, इटावा ज़िले का पश्चिमी भाग (लगभग इटावा शहर की सीध [[देशान्तर]] 79 तक), मैनपुरी ज़िला तथा एटा ज़िला (पूर्व के कुछ अंशों को छोड़कर, जो फ़र्रुख़ाबाद ज़िले की सीमा से मिले-जुले है), अलीगढ़ ज़िला (उत्तर पूर्व में [[गंगा नदी|गंगा]] नदी की सीमा तक), बुलंदशहर का दक्षिणी आधा भाग (पूर्व में [[अनूपशहर]] की सीध से लेकर), गुड़गाँव ज़िले का दक्षिणी अंश, (पलवल की सीध से) तथा अलवर ज़िले का पूर्वी भाग, जो गुडगाँव ज़िले की दक्षिणी तथा भरतपुर की पश्चिमी सीमा से मिला-जुला है।<ref>वाजपेयी, के. डी., ब्रज का इतिहास प्रथम खंड, प्रथम संस्करण, 1955 ई., पृ. 3-4</ref>


भाषायी ब्रज के सम्बंध में भाषाविद् [[डॉ. धीरेन्द्र वर्मा]] ने लिखा है- अपने विशुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ ज़िलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा के नाम से भी पुकार सकते हैं। केंद्रीय ब्रजभाषा क्षेत्र के उत्तर पश्चिम की ओर बुलंदशहर ज़िले की उत्तरी पट्टी से इसमें [[खड़ी बोली]] की लटक आने लगती है। उत्तरी-पूर्वी ज़िलों अर्थात् बदायूँ और एटा ज़िलों में इस पर कन्नौजी का प्रभाव प्रारंभ हो जाता है। डा. धीरेंद्र वर्मा, कन्नौजी को ब्रजभाषा का ही एक रूप मानते हैं। दक्षिण की ओर ग्वालियर में पहुँचकर इसमें बुंदेली की झलक आने लगती है। पश्चिम की ओर गुड़गाँव तथा भरतपुर का क्षेत्र राजस्थानी से प्रभावित है। वर्तमान समय में ब्रजभाषा एक ग्रामीण भाषा है, जो मथुरा-आगरा केन्द्रित ब्रजक्षेत्र में बोली जाती है। यह निम्न ज़िलों की प्रधान भाषा है:
भाषायी ब्रज के सम्बंध में भाषाविद् [[डॉ. धीरेन्द्र वर्मा]] ने लिखा है- अपने विशुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ ज़िलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा के नाम से भी पुकार सकते हैं। केंद्रीय ब्रजभाषा क्षेत्र के उत्तर पश्चिम की ओर बुलंदशहर ज़िले की उत्तरी पट्टी से इसमें [[खड़ी बोली]] की लटक आने लगती है। उत्तरी-पूर्वी ज़िलों अर्थात् बदायूँ और एटा ज़िलों में इस पर कन्नौजी का प्रभाव प्रारंभ हो जाता है। डा. धीरेंद्र वर्मा, कन्नौजी को ब्रजभाषा का ही एक रूप मानते हैं। दक्षिण की ओर ग्वालियर में पहुँचकर इसमें बुंदेली की झलक आने लगती है। पश्चिम की ओर गुड़गाँव तथा भरतपुर का क्षेत्र राजस्थानी से प्रभावित है। वर्तमान समय में ब्रजभाषा एक ग्रामीण भाषा है, जो मथुरा-आगरा केन्द्रित ब्रजक्षेत्र में बोली जाती है। यह निम्न ज़िलों की प्रधान भाषा है:

Revision as of 13:17, 7 May 2017

शुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी मथुरा, अलीगढ़, आगरा, भरतपुर और धौलपुर ज़िलों में बोली जाती है। ब्रजभाषा का कुछ मिश्रित रूप जयपुर राज्य के पूर्वी भाग तथा बुलंदशहर, मैनपुरी, एटा, बरेली और बदायूँ ज़िलों तक बोला जाता है। ग्रिर्यसन महोदय ने अपने भाषा सर्वे में पीलीभीत, शाहजहाँपुर, फर्रूख़ाबाद, हरदोई, इटावा तथा कानपुर की बोली को कन्नौजी नाम दिया है, किन्तु वास्तव में यहाँ की बोली मैनपुरी, एटा बरेली और बदायूँ की बोली से भिन्न नहीं हैं। अधिक से अधिक हम इन सब ज़िलों की बोली को 'पूर्वी ब्रज' कह सकते हैं। सच तो यह है कि, बुन्देलखंड की बुन्देली बोली भी ब्रजभाषा का ही रुपान्तरण है। बुन्देली 'दक्षिणी ब्रज' कहला सकती है।[1] डॉ. गुलाबराय के अनुसार- "ब्रजभाषा का क्षेत्र निम्न प्रकार है- मथुरा, आगरा, अलीगढ़ ज़िलों को केन्द्र मानकर उत्तर में यह अल्मोड़ा, नैनीताल और बिजनौर ज़िलों तक फैली है। दक्षिण में धौलपुर, ग्वालियर तक, पूर्व में कन्नौज और कानपुर ज़िलों तक, पश्चिम में भरतपुर और गुडगाँव ज़िलों तक इसकी सीमा है।

भाषायी सर्वेक्षण तथा अन्य अनुवेषणों के आधार पर श्रीकृष्णदत्त वाजपेयी ने ब्रजभाषा - भाषी क्षेत्र निम्नलिखित है- मथुरा ज़िला, राजस्थान का भरतपुर ज़िला तथा करौली का उत्तरी अंश जो भरतपुर एवं धौलपुर की सीमाओं से मिला-जुला है। सम्पूर्ण धौलपुर ज़िला, मध्य भारत में मुरैना से भिण्ड ज़िले और गिर्द ग्वालियर का लगभग 26 अक्षांश से ऊपर का उत्तरी भाग (यहाँ की ब्रजबोली में बुंदेली की झलक है), सम्पूर्ण आगरा ज़िला, इटावा ज़िले का पश्चिमी भाग (लगभग इटावा शहर की सीध देशान्तर 79 तक), मैनपुरी ज़िला तथा एटा ज़िला (पूर्व के कुछ अंशों को छोड़कर, जो फ़र्रुख़ाबाद ज़िले की सीमा से मिले-जुले है), अलीगढ़ ज़िला (उत्तर पूर्व में गंगा नदी की सीमा तक), बुलंदशहर का दक्षिणी आधा भाग (पूर्व में अनूपशहर की सीध से लेकर), गुड़गाँव ज़िले का दक्षिणी अंश, (पलवल की सीध से) तथा अलवर ज़िले का पूर्वी भाग, जो गुडगाँव ज़िले की दक्षिणी तथा भरतपुर की पश्चिमी सीमा से मिला-जुला है।[2]

भाषायी ब्रज के सम्बंध में भाषाविद् डॉ. धीरेन्द्र वर्मा ने लिखा है- अपने विशुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ ज़िलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा के नाम से भी पुकार सकते हैं। केंद्रीय ब्रजभाषा क्षेत्र के उत्तर पश्चिम की ओर बुलंदशहर ज़िले की उत्तरी पट्टी से इसमें खड़ी बोली की लटक आने लगती है। उत्तरी-पूर्वी ज़िलों अर्थात् बदायूँ और एटा ज़िलों में इस पर कन्नौजी का प्रभाव प्रारंभ हो जाता है। डा. धीरेंद्र वर्मा, कन्नौजी को ब्रजभाषा का ही एक रूप मानते हैं। दक्षिण की ओर ग्वालियर में पहुँचकर इसमें बुंदेली की झलक आने लगती है। पश्चिम की ओर गुड़गाँव तथा भरतपुर का क्षेत्र राजस्थानी से प्रभावित है। वर्तमान समय में ब्रजभाषा एक ग्रामीण भाषा है, जो मथुरा-आगरा केन्द्रित ब्रजक्षेत्र में बोली जाती है। यह निम्न ज़िलों की प्रधान भाषा है:

गंगा पार बदायूँ, बरेली, नैनीताल की तराई से होते हुए उत्तराखंड में उधमसिंह नगर और राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, करौली और पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गाँव, दिल्ली के कुछ भाग और मेवात ज़िलों के पूर्वी भाग में ब्रजभाषा का प्रभाव है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रजभाषा व्याकरण, (प्रथम संस्करण 1937 ई.) पृ. 13
  2. वाजपेयी, के. डी., ब्रज का इतिहास प्रथम खंड, प्रथम संस्करण, 1955 ई., पृ. 3-4

संबंधित लेख