दोआब: Difference between revisions
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Revision as of 09:24, 20 March 2012
किसी स्थान पर परस्पर मिलने वाली दो नदियों के बीच में स्थित मैदानी भाग को दोआब कहा जाता है। संसार के विभिन्न भागों में दोआब पाये जाते हैं, जो अधिकांशतः उर्वर और प्रमुख कृषि प्रदेश हैं।
- उत्तर भारत में गंगा और यमुना के बीच का तथा दक्षिण भारत में कृष्णा और तुंगभद्रा के बीच का दोआब क्षेत्र सर्वाधिक उपजाऊ भू-भाग माना जाता है।
- इन क्षेत्रों पर अधिकार करने के लिए आस-पास के राजा बराबर प्रयत्नशील रहते थे।
- दिल्ली के सुल्तान गंगा और यमुना के दोआब पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिए सदैव ही इच्छुक रहे।
- यह दोआब क्षेत्र बहुधा दिल्ली पर शासन करने वालों के ही हाथ में रहता रहा है।
- कुछ समय के लिए महादजी शिन्दे के नेतृत्व में मराठों का भी अधिकार इस पर रहा।
- 1803 ई. में यह दोआब क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के हाथ में आ गया।
- कृष्णा और तुंगभद्रा के बीच के क्षेत्रों को 'रायचूर दोआब' भी कहते हैं।
- बहमनी सुल्तानों और हिन्दू राजाओं के बीच इस दोआब पर क़ब्ज़े के लिए बराबर द्वन्द्व होता रहा।
- इस दोआब में रायचूर तथा मुदगल नाम के दो क़िले भी हैं।
- 1565 ई. में विजयनगर साम्राज्य के ध्वंस के पश्चात् रायचूर दोआब, बीजापुर के सुल्तानों के अधीन हो गया।
- बाद में क्रमश: मुग़ल सम्राटों और अंग्रेज़ सरकार के अधिकार में इसका नियंत्रण रहा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 210।