जातक के अनमोल वचन: Difference between revisions
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* जिस बात से एक की प्रशंसा होती है, उसी बात से दूसरा निंदित होता है। | * जिस बात से एक की प्रशंसा होती है, उसी बात से दूसरा निंदित होता है। | ||
* झुकने वाले के सामने झुकें। संगति करने वाले के साथ संगति करें। | * झुकने वाले के सामने झुकें। संगति करने वाले के साथ संगति करें। | ||
* मनुष्य को चाहिए कि वह | * मनुष्य को चाहिए कि वह दु:ख से घिरा होने पर भी सुख की आशा न छोड़े। | ||
* दान और युद्ध को समान कहा जाता है। थोड़े भी बहुतों को जीत लेते हैं। श्रद्धा से अगर थोड़ा भी दान करो तो परलोक का सुख मिलता है। | * दान और युद्ध को समान कहा जाता है। थोड़े भी बहुतों को जीत लेते हैं। श्रद्धा से अगर थोड़ा भी दान करो तो परलोक का सुख मिलता है। | ||
* निस्संदेह दान की बहुत प्रशंसा हुई है, पर दान से धर्माचरण ही श्रेष्ठ है। | * निस्संदेह दान की बहुत प्रशंसा हुई है, पर दान से धर्माचरण ही श्रेष्ठ है। |