काकतीय वंश

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 15:50, 26 April 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "गयासुद्दीन" to "ग़यासुद्दीन")
Jump to navigation Jump to search
  • आधुनिक समय में हैदराबाद क्षेत्र के पूर्वी भाग तेलंगाना में काकतीय वंश का शासन था, और उसकी राजधानी वारंगल थी।
  • कल्याणी के चालुक्य वंश के उत्कर्ष काल में काकतीय वंश के राजा चालुक्यों के सामन्तों के रूप में अपने राज्य का शासन करते थे।
  • जब बारहवीं सदी में चालुक्यों की शक्ति क्षीण हो गई, तो प्रोलराज नामक काकतीय राजा ने 1117 ई. के लगभग चालुक्य आधिपत्य का अन्त कर अपने को स्वतंत्र कर लिया।
  • इस वंश ने ओरंगल के राज्य की स्थापना की।
  • प्रोलराज काकतीयों का प्रथम स्वतंत्र राजा था।
  • उसके वंशजों में सबसे पराक्रमी गणपति था, जिसने 1199 से 1291 तक शासन किया। वह एक महान विजेता था, और चोल, देवगिरि, कलिंग और गुजरात आदि की विजय यात्राएँ कर उसने अपने पराक्रम का परिचय दिया था।
  • चौदहवीं सदी के प्रारम्भ में जब अफ़ग़ान सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी का प्रसिद्ध सेनापति मलिक काफ़ूर दक्षिण विजय के लिए निकला तो देवगिरि के यादवों और द्वारसमुद्र के होयसालों के समान वारंगल के काकतीयों की भी उसने विजय की।
  • इसके राजा प्रतापरुद्रदेव द्वितीय को 1310 ई. में सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी की फ़ौजों ने हरा दिया। अलाउद्दीन ख़िलजी ने उससे हर्जाने के रूप में एक भारी रक़म ऐंठी और वार्षिक कर देने का वचन लिया।
  • सुल्तान ग़यासुद्दीन तुग़लक़ (1320-25 ई.) के शासनकाल में इस राज्य को अन्तिम रूप से समाप्त कर दिया गया और उसे दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया।

 


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः