थियोसोफ़िकल सोसाइटी

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थियोसोफ़िकल सोसाइटी की स्थापना वर्ष 1875 ई. में न्यूयार्क (संयुक्त राज्य अमरीका) में तथा इसके बाद 1886 ई. में अडयार (चेन्नई, भारत) में की गई थी। इसके संस्थापक 'मैडम हेलना पेट्रोवना व्लावात्सकी' एवं 'कर्नल हेनरी स्टील ऑल्काट' थे। थियोसोफ़िकल सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य धर्म को आधार बनाकर समाज सेवा करना, धार्मिक एवं भाईचारे की भावना को फैलाना, प्राचीन धर्म, दर्शन एवं विज्ञान के अध्ययन में सहयोग करना आदि था।

भारत में प्रचार

भारत में इस आंदोलन की गतिविधियों को व्यापक रूप से फैलाने का श्रेय एनी बेसेंट (1847-1933 ई.) को दिया जाता है। 1891 ई. में एनी बेसेंट भारत आयीं। भारतीय विचार व संस्कृति उनके रोम-रोम में बस गई थी। उन्होंने पहनावे, खान-पान, शिष्टाचार आदि से अपने को पूर्णतः भारतीय बना लिया। भारत के प्रति अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही उन्होंने 1898 ई. में बनारस में ‘सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज’ की स्थापना की, जो आगे चलकर लगभग 1916 ई. में ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ बन गया। आयरलैण्ड के ‘होमरूल लीग’ की तरह बेसेंट ने भारत में होमरूल लीग की स्थापना की थी।

आंशिक सफलता

इस संस्था के समर्थक लोग ईश्वर के ज्ञान को आत्मिक हर्षोन्माद एवं अन्तर्ज्ञान द्वारा प्राप्त करने का प्रयास किया करते थे। इन लोगों ने पुनर्जन्म एवं कर्म में अपनी आस्था जताई तथा सांख्य दर्शन एवं उपनिषद से प्रेरणा ग्रहण की। धार्मिक पुनरुत्थान के क्षेत्र में यह संस्था इतनी सफल नहीं रही, जितनी की सामाजिक सुधार, शिक्षा के विकास एवं राष्ट्रीय चेतना को जगाने में सफल रही। मद्रास में एनी बेसेंट ने हिन्दू सम्मेलन की स्थापना की।


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