अवसादी चट्टान

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अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही 'अवसादी चट्टान' कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें 'जलज', 'वायूढ़' तथा 'हिमनदीय' प्रकार की होती हैं।

  • अवसादी चट्टानें अधिकांशत: परतदार रूप में पाई जाती हैं।
  • इनमें वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के जीवाश्म बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
  • इन चट्टानों में लौह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला एवं सीमेन्ट बनाने की चट्टान पाई जाती हैं।
  • खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
  • अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतों के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए, तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो जाती है।
  • दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
  • आगरा क़िला तथा दिल्ली का लाल क़िला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों से ही बना है।
  • प्रमुख अवसादी शैलें हैं- बालुका पत्थर, चीका शेल, चूना पत्थर, खड़िया, नमक आदि।


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