तुकाराम के अनमोल वचन

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तुकाराम के अनमोल वचन

[[चित्र:Tukaram.jpg|thumb|तुकाराम]]

  • दुखकातर व्यक्तियों को दान देना ही सच्चा पुण्य है।
  • जो आघात सहन करता है, वहीं संत है।
  • प्रेम बोला नहीं जा सकता, बताया नहीं जा सकता, दिखाया नहीं जा सकता। प्रेम चित्त से चित्त का अनुभव है।
  • मेघ वर्षा करते समय यह नहीं देखता कि भूमि उपजाऊ है या ऊसर। वह दोनों को समान रूप से सींचता है। गंगा का पवित्र जल उत्तम और अधम का विचार किए बिना सबकी प्यास बुझाता है।
  • निश्चय के बल से ही फल की प्राप्ति होती है।
  • जैसे नमक के बिना अन्न स्वादरहित और फीका लगता है, वैसे ही वाचाल के कथन निस्सार होते हैं और किसी को रुचिकर नहीं लगते।
  • जो सत्य का पालन करता है, वही सज्जन है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


टीका टिप्पणी और संदर्भ


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