वैण्यगुप्त

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:32, 9 October 2010 by आशा चौधरी (talk | contribs) ('*बुधगुप्त के बाद वैण्यगुप्त पाटलिपुत्र के राजसि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  • बुधगुप्त के बाद वैण्यगुप्त पाटलिपुत्र के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
  • वैण्यगुप्त ने 495 से 507 ई. तक राज्य किया।
  • वैण्यगुप्त के सिक्के तोल आदि में चंद्रगुप्त द्वितीय और समुद्रगुप्त के सिक्कों के समान हैं।
  • सिक्कों पर एक ओर वैण्यगुप्त का चित्र है, जिसमें वह बाएँ हाथ में धनुष और दाएँ हाथ में बाण लिए हुए है।
  • राजा के चित्र के एक ओर गरुड़ध्वज है, और दूसरी ओर वैण्य लिखा है।
  • सिक्कों के दूसरी ओर कमलासन पर विराजमान लक्ष्मी की मूर्ति है। साथ वैण्य की उपाधि 'द्वादशादित्य' उत्कीर्ण है।
  • वैण्य के सिक्कों में सोने की मात्रा का फिर से बढ़ जाना यह सूचित करता है, कि उसका काल समृद्धि का काल था, और सम्भवतः उसे युद्धों में अधिक रुपया ख़र्च करने की आवश्यकता नहीं हुई थी।
  • ऐसा प्रतीत होता है, कि बुधगुप्त के बाद गुप्त साम्राज्य अपनी एकता को क़ायम नहीं रख सका था।
  • साम्राज्य के पूर्वी भाग में इस समय वैण्यगुप्त का शासन था, और पश्चिमी भाग में भानुगुप्त बालादित्य का।
  • ।सम्भवतः ये दोनों समकालीन गुप्तवंशी राजा थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

Template:गुप्त राजवंश

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः