Difference between revisions of "पाल वंश"

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*पाल वंश आठवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच [[बिहार]] और [[बंगाल]] (पूर्वी भारत ) का शासक वंश था।  
 
*पाल वंश आठवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच [[बिहार]] और [[बंगाल]] (पूर्वी भारत ) का शासक वंश था।  
*इस वंश की स्थापना गोपाल ने की थी, जो एक स्थानीय प्रमुख थे। गोपाल आठवीं शताब्दी के मध्य में अराजकता के माहौल में सत्ताधारी बन बैठे। *उनके उत्तराधिकारी धर्मपाल ( शासनकाल, लगभग 770-810 ई॰) ने अपने शासनकाल में साम्राज्य का काफ़ी विस्तार किया और कुछ समय तक [[कन्नौज]], [[उत्तर प्रदेश]], उत्तर भारत) पर भी उनका नियंत्रण रहा।  
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*इस वंश की स्थापना गोपाल ने की थी, जो एक स्थानीय प्रमुख थे। गोपाल आठवीं शताब्दी के मध्य में अराजकता के माहौल में सत्ताधारी बन बैठे। *उनके उत्तराधिकारी धर्मपाल ( शासनकाल, लगभग 770-810 ई.) ने अपने शासनकाल में साम्राज्य का काफ़ी विस्तार किया और कुछ समय तक [[कन्नौज]], [[उत्तर प्रदेश]], उत्तर भारत) पर भी उनका नियंत्रण रहा।  
*देवपाल ( शासनकाल, लगभग 810-850 ई॰) के शासनकाल में भी पाल वंश एक शक्ति बना रहा, उन्होंने देश के उत्तरी और प्राय:द्वीपीय [[भारत]], दोनों पर हमले जारी रखे। लेकिन इसके बाद से साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।  
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*देवपाल ( शासनकाल, लगभग 810-850 ई.) के शासनकाल में भी पाल वंश एक शक्ति बना रहा, उन्होंने देश के उत्तरी और प्राय:द्वीपीय [[भारत]], दोनों पर हमले जारी रखे। लेकिन इसके बाद से साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।  
 
*कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार शासक महेंद्र पाल ( नौवीं शताब्दी के उत्तरार्ध्द से आरंभिक दसवीं शताब्दी ) ने उत्तरी बंगाल तक हमले किए।  
 
*कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार शासक महेंद्र पाल ( नौवीं शताब्दी के उत्तरार्ध्द से आरंभिक दसवीं शताब्दी ) ने उत्तरी बंगाल तक हमले किए।  
*पाल वंश की सत्ता को एक बार फिर से महिपाल I (शासनकाल, लगभग 988-1038 ई॰) ने पुनर्स्थापित किया। उनका प्रभुत्व [[वाराणसी]] (वर्तमान बनारस, उत्तर प्रदेश) तक फैल गया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद साम्राज्य एक बार फिर से कमजोर हो गया।
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*पाल वंश की सत्ता को एक बार फिर से महिपाल I (शासनकाल, लगभग 988-1038 ई.) ने पुनर्स्थापित किया। उनका प्रभुत्व [[वाराणसी]] (वर्तमान बनारस, उत्तर प्रदेश) तक फैल गया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद साम्राज्य एक बार फिर से कमजोर हो गया।
 
*पाल वंश के अंतिम महत्त्वपूर्ण शासक रामपाल (शासनकाल, लगभग 1077-1120) ने बंगाल में वंश को ताकतवर बनाने के लिये बहुत कुछ किया और अपनी सत्ता को [[असम]] तथा [[उड़ीसा]] तक फैला दिया।  
 
*पाल वंश के अंतिम महत्त्वपूर्ण शासक रामपाल (शासनकाल, लगभग 1077-1120) ने बंगाल में वंश को ताकतवर बनाने के लिये बहुत कुछ किया और अपनी सत्ता को [[असम]] तथा [[उड़ीसा]] तक फैला दिया।  
 
*रामपाल संध्याकर नंदी रचित ऐतिहासिक [[संस्कृत]] काव्य 'रामचरित' के नायक हैं। उनकी मृत्यु के बाद [[सेन वंश]] की बढ़ती हुई शक्ति ने पाल साम्राज्य पर वस्तुत: ग्रहण लगा दिया, हालांकि पाल राजा दक्षिण बिहार में अगले 40 वर्षों तक शासन करते रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि पाल राजाओं की मुख्य राजधानी पूर्वी बिहार में स्थित मुदागिरि (मुंगेर) थी।
 
*रामपाल संध्याकर नंदी रचित ऐतिहासिक [[संस्कृत]] काव्य 'रामचरित' के नायक हैं। उनकी मृत्यु के बाद [[सेन वंश]] की बढ़ती हुई शक्ति ने पाल साम्राज्य पर वस्तुत: ग्रहण लगा दिया, हालांकि पाल राजा दक्षिण बिहार में अगले 40 वर्षों तक शासन करते रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि पाल राजाओं की मुख्य राजधानी पूर्वी बिहार में स्थित मुदागिरि (मुंगेर) थी।

Revision as of 09:10, 25 August 2010

  • pal vansh athavian se barahavian shatabdi ke bich bihar aur bangal (poorvi bharat ) ka shasak vansh tha.
  • is vansh ki sthapana gopal ne ki thi, jo ek sthaniy pramukh the. gopal athavian shatabdi ke madhy mean arajakata ke mahaul mean sattadhari ban baithe. *unake uttaradhikari dharmapal ( shasanakal, lagabhag 770-810 ee.) ne apane shasanakal mean samrajy ka kafi vistar kiya aur kuchh samay tak kannauj, uttar pradesh, uttar bharat) par bhi unaka niyantran raha.
  • devapal ( shasanakal, lagabhag 810-850 ee.) ke shasanakal mean bhi pal vansh ek shakti bana raha, unhoanne desh ke uttari aur pray:dvipiy bharat, donoan par hamale jari rakhe. lekin isake bad se samrajy ka patan shuroo ho gaya.
  • kannauj ke gurjar pratihar shasak maheandr pal ( nauvian shatabdi ke uttarardhd se aranbhik dasavian shatabdi ) ne uttari bangal tak hamale kie.
  • pal vansh ki satta ko ek bar phir se mahipal I (shasanakal, lagabhag 988-1038 ee.) ne punarsthapit kiya. unaka prabhutv varanasi (vartaman banaras, uttar pradesh) tak phail gaya, lekin unaki mrityu ke bad samrajy ek bar phir se kamajor ho gaya.
  • pal vansh ke aantim mahattvapoorn shasak ramapal (shasanakal, lagabhag 1077-1120) ne bangal mean vansh ko takatavar banane ke liye bahut kuchh kiya aur apani satta ko asam tatha u disa tak phaila diya.
  • ramapal sandhyakar nandi rachit aitihasik sanskrit kavy 'ramacharit' ke nayak haian. unaki mrityu ke bad sen vansh ki badhati huee shakti ne pal samrajy par vastut: grahan laga diya, halaanki pal raja dakshin bihar mean agale 40 varshoan tak shasan karate rahe. aisa pratit hota hai ki pal rajaoan ki mukhy rajadhani poorvi bihar mean sthit mudagiri (muanger) thi.
  • pal shasakoan ne bauddh dharm ko sanrakshan diya aur unake rajyoan ke dharm pracharakoan ne is dharm ko tibbat tak prasarit kiya. isi dauran pal shasakoan ke sanrakshan mean nalanda aur vikramashila mean baudhd math aur adhyayan keandr phale-phoole.
  • ve kala ke bhi sanrakshak the aur us kal ke pashan tatha dhatushilp ke kuchh shreshth namoone ab bhi maujood haian.


sambandhit liank

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