गुर्जर प्रतिहार वंश: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(10 intermediate revisions by 5 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''गुर्जर प्रतिहार''' वंश की स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने 725 ई. में की थी। उसने [[राम]] के भाई [[लक्ष्मण]] को अपना पूर्वज बताते हुए अपने वंश को [[सूर्यवंश]] की शाखा सिद्ध किया। अधिकतर [[गुर्जर]] सूर्यवंश का होना सिद्द करते है तथा गुर्जरो के शिलालेखो पर अंकित [[सूर्य देवता|सूर्यदेव]] की कलाकृतिया भी इनके सूर्यवंशी होने की पुष्टि करती है।<ref>{{Cite book|title=Sun-worship in ancient India|author=Lālatā Prasāda Pāṇḍeya|publisher=Motilal Banarasidass|year=1971|page=245}}</ref>आज भी [[राजस्थान]] मे गुर्जर सम्मान से '''मिहिर''' कहे जाते है, जिसका अर्थ ''सूर्य'' होता है।<ref>{{cite book|title=Gazetteer of the Bombay Presidency, Volume 9, Part 1|author= Bombay (India : State)|publisher=Govt. Central Press|year=1901|page=479}}</ref><ref>{{cite book|title=Śri Śaṅkara Bhagavatpādācārya's Saundaryalaharī|author=Chandrasekharendra Saraswati (Jagatguru Sankaracharya of Kamakoti)|coauthor=Śaṅkarācārya, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=2001|page=339}}</ref>
'प्रतिहार वंश' को [[गुर्जर प्रतिहार वंश]] (छठी शताब्दी से 1036 ई.) इसलिए कहा गया, क्योंकि ये [[गुर्जर|गुर्जरों]] की ही एक शाखा थे, जिनकी उत्पत्ति [[गुजरात]] व दक्षिण-पश्चिम [[राजस्थान]] में हुई थी। प्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हें [[श्रीराम]] के अनुज [[लक्ष्मण]] का वंशज बताया गया है, जो श्रीराम के लिए प्रतिहार (द्वारपाल) का कार्य करता था। [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] कवि 'पम्प' ने [[महिपाल]] को 'गुर्जर राजा' कहा है। 'स्मिथ' [[ह्वेनसांग]] के वर्णन के आधार पर उनका मूल स्थान [[माउंट आबू|आबू पर्वत]] के उत्तर-पश्चिम में स्थित भीनमल को मानते हैं। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार उनका मूल स्थान [[अवन्ति]] था।
==शासक==
 
#वत्सराज
==गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक==
#नागभट्ट द्वितीय
*[[नागभट्ट प्रथम]] (730 - 756 ई.)
#'''राजा भोज प्रथम'''
*[[वत्सराज]] (783 - 795 ई.)
#महेन्द्रपाल
*[[नागभट्ट द्वितीय]] (795 - 833 ई.)
#महिपाल  
*[[मिहिरभोज]] (भोज प्रथम) (836 - 889 ई.)
#भोज द्वितीय
*[[महेन्द्र पाल]] (890 - 910 ई.)
#विनायकपाल
*[[महिपाल]] (914 - 944 ई.)
#महेन्द्रपाल द्वितीय
*[[भोज द्वितीय]]
#देवपाल
*विनायकपाल
#महिपाल द्वितीय  
*महेन्द्रपाल द्वितीय
#विजयपाल
*[[देवपाल (प्रतिहार वंश)|देवपाल]] (940 - 955 ई.)
#राज्यपाल  
*महिपाल द्वितीय
*विजयपाल
*राज्यपाल
*यशपाल
 
{{seealso|गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य|गुर्जर}}
{{seealso|गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य|गुर्जर}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==संदर्भ==
==संदर्भ==
{{reflist}}
{{reflist}}
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के राजवंश}}
{{भारत के राजवंश}}{{प्रतिहार साम्राज्य}}
[[Category:भारत_के_राजवंश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:भारत_के_राजवंश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:प्रतिहार साम्राज्य]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 10:46, 5 May 2016

'प्रतिहार वंश' को गुर्जर प्रतिहार वंश (छठी शताब्दी से 1036 ई.) इसलिए कहा गया, क्योंकि ये गुर्जरों की ही एक शाखा थे, जिनकी उत्पत्ति गुजरात व दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में हुई थी। प्रतिहारों के अभिलेखों में उन्हें श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का वंशज बताया गया है, जो श्रीराम के लिए प्रतिहार (द्वारपाल) का कार्य करता था। कन्नड़ कवि 'पम्प' ने महिपाल को 'गुर्जर राजा' कहा है। 'स्मिथ' ह्वेनसांग के वर्णन के आधार पर उनका मूल स्थान आबू पर्वत के उत्तर-पश्चिम में स्थित भीनमल को मानते हैं। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार उनका मूल स्थान अवन्ति था।

गुर्जर-प्रतिहार वंश के शासक

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संदर्भ

  1. REDIRECT साँचा:टिप्पणीसूची

संबंधित लेख