रामपाल: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=रामपाल|लेख का नाम=रामपाल (बहुविकल्पी)}} | |||
'''रामपाल''' [[बंगाल]] तथा [[बिहार]] का 14वाँ [[पाल वंश|पाल वंशीय]] शासक था। उसने लगभग 42 वर्षों (1075 - 1120 ई.) तक राज्य किया। | |||
*रामपाल से पूर्व उसका ज्येष्ठ भ्राता [[महिपाल द्वितीय]] शासक था, किंतु कैवतों के मुखिया 'दिव्य' अथवा 'दिव्योक' के नेतृत्व में जनता द्वारा विद्रोह करने पर उसे सिंहासन और अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा। | *रामपाल से पूर्व उसका ज्येष्ठ भ्राता [[महिपाल द्वितीय]] शासक था, किंतु कैवतों के मुखिया 'दिव्य' अथवा 'दिव्योक' के नेतृत्व में जनता द्वारा विद्रोह करने पर उसे सिंहासन और अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा। | ||
*कुछ समय उपरांत दिव्य का उत्तराधिकारी 'भीम' सिंहासन पर आसीन हुआ, किंतु रामपाल ने उसे अपदस्थ करके परिवार के सभी सदस्यों सहित उसका वध कर डाला। | *कुछ समय उपरांत दिव्य का उत्तराधिकारी 'भीम' सिंहासन पर आसीन हुआ, किंतु रामपाल ने उसे अपदस्थ करके परिवार के सभी सदस्यों सहित उसका वध कर डाला। | ||
*इसके बाद रामपाल ने राज्य में फैली अव्यवस्था को दूर करके सर्वत्र शांति और व्यवस्था स्थापित कर दी। | *इसके बाद रामपाल ने राज्य में फैली अव्यवस्था को दूर करके सर्वत्र शांति और व्यवस्था स्थापित कर दी। | ||
*रामपाल ने [[आसाम]] और [[उड़ीसा]] पर विजय प्राप्त की और [[कन्नौज]] के [[गहड़वाल वंश|गहड़वाल]] शासक को [[बिहार]] की ओर साम्राज्य विस्तार करने से सफलतापूर्वक रोका। | *रामपाल ने [[आसाम]] और [[उड़ीसा]] पर विजय प्राप्त की और [[कन्नौज]] के [[गहड़वाल वंश|गहड़वाल]] शासक को [[बिहार]] की ओर साम्राज्य विस्तार करने से सफलतापूर्वक रोका। | ||
*' | *'[[संध्याकर नंदी]]' ने अपने विलक्षण काव्य ग्रंथ 'रामपालचरित' में रामपाल की उपलब्धियों का वर्णन किया है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 406 | chapter =}} | {{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 406 | chapter =}} | ||
Line 17: | Line 14: | ||
{{पाल वंश}} | {{पाल वंश}} | ||
{{भारत के राजवंश}} | {{भारत के राजवंश}} | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]][[Category:पाल साम्राज्य]] | ||
[[Category:पाल साम्राज्य]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 14:33, 17 October 2013
चित्र:Disamb2.jpg रामपाल | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रामपाल (बहुविकल्पी) |
रामपाल बंगाल तथा बिहार का 14वाँ पाल वंशीय शासक था। उसने लगभग 42 वर्षों (1075 - 1120 ई.) तक राज्य किया।
- रामपाल से पूर्व उसका ज्येष्ठ भ्राता महिपाल द्वितीय शासक था, किंतु कैवतों के मुखिया 'दिव्य' अथवा 'दिव्योक' के नेतृत्व में जनता द्वारा विद्रोह करने पर उसे सिंहासन और अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा।
- कुछ समय उपरांत दिव्य का उत्तराधिकारी 'भीम' सिंहासन पर आसीन हुआ, किंतु रामपाल ने उसे अपदस्थ करके परिवार के सभी सदस्यों सहित उसका वध कर डाला।
- इसके बाद रामपाल ने राज्य में फैली अव्यवस्था को दूर करके सर्वत्र शांति और व्यवस्था स्थापित कर दी।
- रामपाल ने आसाम और उड़ीसा पर विजय प्राप्त की और कन्नौज के गहड़वाल शासक को बिहार की ओर साम्राज्य विस्तार करने से सफलतापूर्वक रोका।
- 'संध्याकर नंदी' ने अपने विलक्षण काव्य ग्रंथ 'रामपालचरित' में रामपाल की उपलब्धियों का वर्णन किया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 406।