हमीदुद्दीन नागौरी: Difference between revisions
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*नागौर में चिश्ती सम्प्रदाय के इस सूफ़ी संत की मजार आज भी इनकी याद दिलाती है। | *नागौर में [[चिश्ती सम्प्रदाय]] के इस सूफ़ी संत की मजार आज भी इनकी याद दिलाती है। | ||
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हमीदुद्दीन नागौरी (1192-1274 ई.) ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के शिष्य थे। इन्होंने अपने गुरु के आदेशानुसार सूफ़ी मत का प्रचार-प्रसार किया। यद्यपि इनका जन्म दिल्ली में हुआ था, लेकिन इनका अधिकांश समय नागौर, राजस्थान में ही व्यतीत हुआ था।
- राजस्थान में अजमेर के बाद नागौर ही सूफ़ी मत का प्रसिद्ध केन्द्र रहा था।
- मुइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य हमीदुद्दीन नागौरी ने गुरु के आदेश से सूफ़ी मत का प्रचार किया।
- इन्होंने अपना जीवन एक आत्मनिर्भर किसान की तरह गुजारा था।
- नागौर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'सुवाल' नामक गाँव में इन्होंने खेती भी की।
- ये पूर्णतः शाकाहारी थे एवं अपने शिष्यों से भी शाकाहारी बने रहने को कहते थे।
- इनकी ग़रीबी को देखकर नागौर के प्रशासक ने इन्हें कुछ नक़द एवं ज़मीन देने की पेशकश की थी, जिसे इन्होंने अस्वीकार कर दिया।
- हमीदुद्दीन नागौरी समन्वयवादी थे और इन्होंने भारतीय वातावरण के अनुरूप सूफ़ी आन्दोलन को आगे आगे बढ़ाया।
- नागौर में चिश्ती सम्प्रदाय के इस सूफ़ी संत की मजार आज भी इनकी याद दिलाती है।
- इस मजार पर मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने एक गुम्बद का निर्माण करवाया था, जो 1330 ई. में बनकर पूर्ण हुआ।
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