अब वह बनी मुक्तधारा -दिनेश सिंह: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
 
Line 26: Line 26:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्र लेख}}
[[Category:दिनेश सिंह]]
[[Category:दिनेश सिंह]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]] [[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]] [[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
__NOTOC__
__NOTOC__
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 13:17, 26 January 2017

चित्र:Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।

स्वच्छंद नीले गगन में उड़ रही है मुक्ताहंसिनी
किसी के गीत की उपमा बनी थी जो अभी तक
प्रगति-पथ पर चली वो ज्योति पथ पर बिछाती
स्वच्छंद नीले गगन में उड़ रही है मुक्ताहंसिनी

अवहेलना जिसकी युगों से हुई थी
किसी की काम की कामना अब तक बनी थी
नवरूप अब लेकर जगी वो प्रेम की अनुगामिनी
स्वच्छंद नीले गगन में उड़ रही है मुक्ताहंसिनी

जिसके रूप का वर्णन नहीं कोई कर सका
कवि क्या शेष-नारद आदि नहीं कोई गा सका
हटाकर काम की मूरत को वह मुक्त धारा बनी
स्वच्छंद नीले गगन में उड़ रही है मुक्ताहंसिनी

दिया मद तोड़ जो कटीले तरु खड़े थे
बदल दी दृष्टि जग की जो कभी एकत्व थे
किया निर्माण निज नीड़ को वो अभिलाषनी
स्वच्छंद नीले गगन में उड़ रही है मुक्ताहंसिनी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष