जर्जर हुआ हूँ मैं -अरुन अनन्त: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{प्रयोक्ता द्वारा निर्मित लेख}} {{सूचना बक्सा साहित्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
 
(7 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{प्रयोक्ता द्वारा निर्मित लेख}}
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
 
{{सूचना बक्सा कविता
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
 
|चित्र=arun-anant.jpg
|चित्र=arun-anant.jpg
|चित्र का नाम=अरुन अनन्त
|चित्र का नाम=अरुन अनन्त
 
|कवि=अरुन अनन्त
|पूरा नाम=अरुन शर्मा अनन्त
 
|अन्य नाम=
 
|जन्म=[[10 जनवरी]], [[1984]]
|जन्म=[[10 जनवरी]], [[1984]]
 
|जन्म स्थान=[[नई दिल्ली]]
|जन्म भूमि=([[नई दिल्ली]])
 
|मृत्यु=
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
 
|मुख्य रचनाएँ='''सम्पादन'''- '''शब्द व्यंजना''' हिंदी मासिक ई-पत्रिका, '''सारांश समय का''' (80 कविओं की कविताओं का संकलन)
|अविभावक= श्री राम सुफल और स्वर्गीय श्रीमती प्रेमा देवी
|यू-ट्यूब लिंक=
 
|पालक माता-पिता=
 
|पति/पत्नी=
 
|संतान=
 
|कर्म भूमि=
 
|कर्म-क्षेत्र=
 
|मुख्य रचनाएँ='''सम्पादन'''- # '''शब्द व्यंजना''' (www.shabdvyanjana.com) हिंदी मासिक ई-पत्रिका <br> # '''सारांश समय का''' (80 कविओं की कविताओं का संकलन)
 
|विषय=|भाषा=[[हिंदी]]|विद्यालय=
 
|शिक्षा= स्नातक
 
|पुरस्कार-उपाधि=
 
|प्रसिद्धि=
 
|विशेष योगदान=
 
|नागरिकता=भारतीय
 
|संबंधित लेख=
 
|शीर्षक 1=सम्प्रति-
|शीर्षक 1=सम्प्रति-
|पाठ 1= रियल एस्टेट कंपनी में प्रबंधक
|पाठ 1= रियल एस्टेट कंपनी में प्रबंधक
|शीर्षक 2=सम्पर्क
|शीर्षक 2=सम्पर्क
|पाठ 2= गुडगाँव हरियाणा '''फ़ोन'''-09899797447, '''ई-मेल'''- [email protected]
|बाहरी कड़ियाँ=
}}
{{Poemopen}}
<poem>
सुखों की श्रृंखला से वस्तुतः बाहर हुआ हूँ मैं,
कि जबसे प्रेम के पथ पर सुनो तत्पर हुआ हूँ मैं,


|पाठ 2= गुडगाँव हरियाणा '''फ़ोन'''-09899797447, '''ई-मेल'''- [email protected]
मेरा प्रतिरूप बनकर अब निरंतर साथ चलते हैं,
दुखों को इस तरह कुछ आजकल रुचिकर हुआ हूँ मैं,


}}
हवाले मृत्यु के कर दो या जीवन दान दो मुझको,
तुम्हारे फैसलों पर अंततः निर्भर हुआ हूँ मैं,


<poem>'''ग़ज़ल - जर्जर हुआ हूँ मैं
मुझे पत्थर समझकर छूने की कोशिश नहीं करना,
बिखर जाऊंगा निश्चित तौर पर जर्जर हुआ हूँ मैं,


<br>
मेरे अपनों ने मुझसे मित्रता ऐसी निभाई है,
कि प्रतिपल शत्रुओं के वास्ते अवसर हुआ हूँ मैं,


सुखों की श्रृंखला से वस्तुतः बाहर हुआ हूँ मैं,
ग़ज़ल के रूप में परिपूर्ण हो तुम मेरे ही कारण,
कि जबसे प्रेम के पथ पर सुनो तत्पर हुआ हूँ मैं,<br>
कई हिस्सों में बँटकर टूटकर शेअर हुआ हूँ मैं
मेरा प्रतिरूप बनकर अब निरंतर साथ चलते हैं,
दुखों को इस तरह कुछ आजकल रुचिकर हुआ हूँ मैं,<br>
हवाले मृत्यु के कर दो या जीवन दान दो मुझको,
तुम्हारे फैसलों पर अंततः निर्भर हुआ हूँ मैं,<br>
मुझे पत्थर समझकर छूने की कोशिश नहीं करना,
बिखर जाऊंगा निश्चिततौर पर जर्जर हुआ हूँ मैं,<br>
मेरे अपनों ने मुझसे मित्रता ऐसी निभाई है,
कि प्रतिपल शत्रुओं के वास्ते अवसर हुआ हूँ मैं,<br>
ग़ज़ल के रूप में परिपूर्ण हो तुम मेरे ही कारण,
कई हिस्सों में बँटकर टूटकर शेअर हुआ हूँ मैं
</poem>
</poem>
{{Poemclose}}


{{लेख प्रगति|आधार=प्रारम्भिक|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=प्रारम्भिक1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>


Line 84: Line 47:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्र लेख}}


[[Category:नया पन्ना {{LOCALMONTHNAME}} {{LOCALYEAR}}]]
[[Category:पद्य साहित्य]]
 
[[Category:समकालीन साहित्य]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 13:19, 26 January 2017

चित्र:Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
जर्जर हुआ हूँ मैं -अरुन अनन्त
कवि अरुन अनन्त
जन्म 10 जनवरी, 1984
जन्म स्थान नई दिल्ली
मुख्य रचनाएँ सम्पादन- शब्द व्यंजना हिंदी मासिक ई-पत्रिका, सारांश समय का (80 कविओं की कविताओं का संकलन)
सम्प्रति- रियल एस्टेट कंपनी में प्रबंधक
सम्पर्क गुडगाँव हरियाणा फ़ोन-09899797447, ई-मेल- [email protected]
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

सुखों की श्रृंखला से वस्तुतः बाहर हुआ हूँ मैं,
कि जबसे प्रेम के पथ पर सुनो तत्पर हुआ हूँ मैं,

मेरा प्रतिरूप बनकर अब निरंतर साथ चलते हैं,
दुखों को इस तरह कुछ आजकल रुचिकर हुआ हूँ मैं,

हवाले मृत्यु के कर दो या जीवन दान दो मुझको,
तुम्हारे फैसलों पर अंततः निर्भर हुआ हूँ मैं,

मुझे पत्थर समझकर छूने की कोशिश नहीं करना,
बिखर जाऊंगा निश्चित तौर पर जर्जर हुआ हूँ मैं,

मेरे अपनों ने मुझसे मित्रता ऐसी निभाई है,
कि प्रतिपल शत्रुओं के वास्ते अवसर हुआ हूँ मैं,

ग़ज़ल के रूप में परिपूर्ण हो तुम मेरे ही कारण,
कई हिस्सों में बँटकर टूटकर शेअर हुआ हूँ मैं


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष