Difference between revisions of "आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट जुलाई-सितम्बर 2015"
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+ | ;दिनांक- 26 सितम्बर, 2015 | ||
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प्रिय मित्रो! अर्से बाद कुछ पंक्तियाँ कहीं, तो आपके सामने हाज़िर हैं- | प्रिय मित्रो! अर्से बाद कुछ पंक्तियाँ कहीं, तो आपके सामने हाज़िर हैं- | ||
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इन मंजिलों को शायद | इन मंजिलों को शायद | ||
कुछ रंजिशें हैं मुझसे | कुछ रंजिशें हैं मुझसे | ||
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उसका पता रही हैं | उसका पता रही हैं | ||
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+ | ;दिनांक- 26 सितम्बर, 2015 | ||
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"सब कुछ | "सब कुछ | ||
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-भवानी प्रासाद मिश्र | -भवानी प्रासाद मिश्र | ||
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+ | ;दिनांक- 26 सितम्बर, 2015 | ||
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अज्ञेय लिखते हैं- | अज्ञेय लिखते हैं- | ||
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~ अज्ञेय | ~ अज्ञेय | ||
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+ | ;दिनांक- 27 जुलाई, 2015 | ||
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हृदय विचलित हो गया। जिनसे बहुत कुछ सीखा वो नहीं रहे। | हृदय विचलित हो गया। जिनसे बहुत कुछ सीखा वो नहीं रहे। | ||
कलाम साहब से एक मिसाइल के निर्माण में कुछ कमी रह गई। इस मिसाइल का प्रक्षेपण असफल रहा। कलाम साहब के बॉस ने प्रेस के सामने इस असफल परीक्षण की पूरी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली और कलाम साहब को साफ़ तौर पर बचा लिया। इसके बाद कलाम साहब को यह अनुभव मिला कि बॉस किसे कहते हैं और वह कैसा होना चाहिए… | कलाम साहब से एक मिसाइल के निर्माण में कुछ कमी रह गई। इस मिसाइल का प्रक्षेपण असफल रहा। कलाम साहब के बॉस ने प्रेस के सामने इस असफल परीक्षण की पूरी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली और कलाम साहब को साफ़ तौर पर बचा लिया। इसके बाद कलाम साहब को यह अनुभव मिला कि बॉस किसे कहते हैं और वह कैसा होना चाहिए… | ||
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+ | ;दिनांक- 10 जुलाई, 2015 | ||
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एक सौ पच्चीस करोड़ की आबादी, 6 लाख 38 हज़ार से अधिक गाँवों और क़रीब 18 सौ नगर-क़स्बों वाले हमारे देश में क़रीब 35 करोड़ छात्राएँ-छात्र हैं। जो 16 लाख से अधिक शिक्षण संस्थानों और 700 विश्वविद्यालयों में समाते हैं। दु:खद यह है कि विश्व के मुख्य 100 शिक्षण संस्थानों में किसी भी भारतीय शिक्षण संस्थान का नाम-ओ-निशां नहीं है। | एक सौ पच्चीस करोड़ की आबादी, 6 लाख 38 हज़ार से अधिक गाँवों और क़रीब 18 सौ नगर-क़स्बों वाले हमारे देश में क़रीब 35 करोड़ छात्राएँ-छात्र हैं। जो 16 लाख से अधिक शिक्षण संस्थानों और 700 विश्वविद्यालयों में समाते हैं। दु:खद यह है कि विश्व के मुख्य 100 शिक्षण संस्थानों में किसी भी भारतीय शिक्षण संस्थान का नाम-ओ-निशां नहीं है। | ||
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मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई। “पिछली बार तुम मिले थे तो ठीक-ठाक थे। आज ये तुम्हें क्या हो गया है?” | मेरी जिज्ञासा और बढ़ गई। “पिछली बार तुम मिले थे तो ठीक-ठाक थे। आज ये तुम्हें क्या हो गया है?” | ||
“दोस्त पहले की बात और थी। वो दिन अब कहाँ। अब तो मैं एक चलता-फिरता अभिभावक बन के रह गया हूँ। बस इससे ज़्यादा और कुछ नहीं”, | “दोस्त पहले की बात और थी। वो दिन अब कहाँ। अब तो मैं एक चलता-फिरता अभिभावक बन के रह गया हूँ। बस इससे ज़्यादा और कुछ नहीं”, | ||
− | “लेकिन तुम अभिभावक बने कब?” (शेष भारतकोश पर पढ़ें) | + | “लेकिन तुम अभिभावक बने कब?” ([[अभिभावक -आदित्य चौधरी|शेष भारतकोश पर पढ़ें]]) |
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