धंगदेव: Difference between revisions

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'''धंगदेव ''' (950 से 1002 ई.) [[यशोवर्मन]] का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। वह अपने [[पिता]] के समान ही पराक्रमी एवं महात्वाकांक्षी शासक था। उसे चन्देलों की वास्तविक स्वाधीनता का जन्मदाता माना जाता है। धंगदेव ने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की थी।
*[[यशोवर्मन]] का पुत्र एवं उत्तराधिकारी धंगदेव अपने पिता के समान ही पराक्रमी एवं महात्वाकाक्षी शासक था।  
*उसे चन्देलो की वास्तविक स्वाधीनता का जन्मदाता माना जाता है उसने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की
*उसका साम्राज्य पश्चिम में [[ग्वालियर]], पूर्व में [[वाराणसी]], उत्तर में [[यमुना नदी|यमुना]] एवं दक्षिण में [[चेदि]] एवं [[मालवा]] तक फैला था।
*धंग के कालिंजर पर अपना अधिकार सुदृढ करके उसे अपना राजधानी बनाया।
*ग्वालियर की विजय धंग की सबसे महत्वपूर्ण सफलता थी।  
*धंग ने भटिण्डा की शाही शासक जयपाल को [[सुबुक्तिगिन]] के विरुद्ध सैनिक सहायता भेजी तथा उसके विरुद्ध बने हिन्दू राजाओं के संघ में सम्मिलित हुआ।
*उसने ब्राह्मणों को उच्च पदों पर नियुक्त किया।
*उसका मुख्य न्यायाधीश भट्टयशोधर तथा प्रधानमंत्री प्रभास जैसे विद्वान ब्राह्मण थे।
*धंग प्रसिद्ध विजेता होने के साथ ही उच्चकोटि का निर्माता भी था।
*उसके शासन काल में निर्मित खजुराहों का विश्व विख्यात मंदिर स्थापत्य कला का एक अनोखा उदाहरण है। इसमें जिननाथ, वैद्यनाथ, विश्वनाथ विशेष उल्लेखनीय है।
*धंग ने महाराजाधिराज की उपाधि ग्रहण की थी।
*उसने [[प्रयाग]] में गंगा-यमुना के पवित्र संगम में अपना शरीर त्याग दिया।


*धंगदेव का साम्राज्य पश्चिम में [[ग्वालियर]], पूर्व में [[वाराणसी]], उत्तर में [[यमुना नदी|यमुना]] एवं दक्षिण में [[चेदि]] एवं [[मालवा]] तक फैला था।
*[[कालिंजर]] पर अपना अधिकार करके धंगदेव ने उसे सुदृढ बनाकर बाद के समय अपनी राजधानी बनाया।
*ग्वालियर की विजय धंग की सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी।
*धंग ने भटिण्डा के शाही शासक [[जयपाल]] को [[सुबुक्तगीन]] के विरुद्ध सैनिक सहायता भेजी तथा उसके विरुद्ध बने [[हिन्दू]] राजाओं के संघ में सम्मिलित हुआ।
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Latest revision as of 14:37, 6 July 2017

धंगदेव (950 से 1002 ई.) यशोवर्मन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। वह अपने पिता के समान ही पराक्रमी एवं महात्वाकांक्षी शासक था। उसे चन्देलों की वास्तविक स्वाधीनता का जन्मदाता माना जाता है। धंगदेव ने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की थी।

  • धंगदेव का साम्राज्य पश्चिम में ग्वालियर, पूर्व में वाराणसी, उत्तर में यमुना एवं दक्षिण में चेदि एवं मालवा तक फैला था।
  • कालिंजर पर अपना अधिकार करके धंगदेव ने उसे सुदृढ बनाकर बाद के समय अपनी राजधानी बनाया।
  • ग्वालियर की विजय धंग की सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी।
  • धंग ने भटिण्डा के शाही शासक जयपाल को सुबुक्तगीन के विरुद्ध सैनिक सहायता भेजी तथा उसके विरुद्ध बने हिन्दू राजाओं के संघ में सम्मिलित हुआ।
  • ब्राह्मणों को उच्च पदों पर धंगदेव ने नियुक्त किया। उसका मुख्य न्यायाधीश भट्टयशोधर तथा प्रधानमंत्री 'प्रभास' जैसे विद्वान् ब्राह्मण थे।
  • धंग प्रसिद्ध विजेता होने के साथ ही उच्चकोटि का निर्माता भी था। उसके शासन काल में निर्मित खजुराहो का विश्व विख्यात मंदिर स्थापत्य कला का एक अनोखा उदाहरण है। इसमें 'जिननाथ', 'वैद्यनाथ', 'विश्वनाथ' विशेष उल्लेखनीय हैं।
  • धंग ने 'महाराजाधिराज' की उपाधि ग्रहण की थी। उसने प्रयाग में गंगा-यमुना के पवित्र संगम में अपना शरीर त्याग दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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