इल्बारी वंश: Difference between revisions

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Latest revision as of 08:20, 2 May 2013

इल्बारी वंश की स्थापना इल्तुतमिश (1210- 1236 ई.) ने की थी, जो एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध इल्तुतमिश की कार्य कुशलता से प्रभावित होकर मुहम्मद ग़ोरी ने उसे "अमीरूल उमर" नामक महत्त्वपूर्ण पद प्रदान किया था।

  • अकस्मात् मुत्यु के कारण कुतुबद्दीन ऐबक अपने किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः लाहौर के तुर्क अधिकारियों ने कुतुबद्दीन ऐबक के विवादित पुत्र आरामशाह, जिसे इतिहासकार नहीं मानते, को लाहौर की गद्दी पर बैठाया।
  • दिल्ली के तुर्क सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश, जो उस समय बदायूँ का सूबेदार था, को दिल्ली आमंत्रित कर राज्यसिंहासन पर बैठाया गया।
  • राजगद्दी पर अधिकार को लेकर आरामशाह एवं इल्तुतमिश के बीच दिल्ली के निकट 'जड़' नामक स्थान पर संघर्ष हुआ, जिसमें आरामशाह को बन्दी बनाया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गयी।
  • ऐबक वंश के आरामशाह की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत में अब 'इल्बारी वंश' का शासन प्रारम्भ हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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