उशीनर: Difference between revisions

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'''उशीनर''' को [[ऐतरेय ब्राह्मण]]<ref>[[ऐतरेय ब्राह्मण]], 8,14</ref> के अनुसार मध्य देश में स्थित एक जनपद बताया गया है-  
'''उशीनर''' को [[ऐतरेय ब्राह्मण]]<ref>[[ऐतरेय ब्राह्मण]], 8,14</ref> के अनुसार मध्य देश में स्थित एक जनपद बताया गया है-  
<blockquote>'अस्यांध्रुवायां मध्यमायां प्रतिष्ठायां दिशि'।</blockquote>
<blockquote>'अस्यांध्रुवायां मध्यमायां प्रतिष्ठायां दिशि'।</blockquote>

Revision as of 14:00, 16 May 2018

उशीनर को ऐतरेय ब्राह्मण[1] के अनुसार मध्य देश में स्थित एक जनपद बताया गया है-

'अस्यांध्रुवायां मध्यमायां प्रतिष्ठायां दिशि'।

'गालवो विमृशन्नेव स्वकार्यगतमानस:, जगाम भोजनगरं द्रष्टुमौशीनरं नृपम्।'[4]

'शिबिमौशीनरं चैव मृतं सृंजय शुश्रृम'।
  • ऋग्वेद 10, 59, 10 में उशीनराणी नामक रानी का उल्लेख है-

'समिन्द्रेरय गामनाडवाहंय आवहदुशीनराण्या अन:, भरतामप यद्रपो द्यौ: पृथिवि क्षमारपो मोषुते किंचनाममत्' या जैसा कि उपर्युक्त उद्धरणों से सूचित होता है उशीनदेश वर्तमान हरिद्वार के निकटवर्ती प्रदेश का नाम था। इसमें ज़िला देहरादून का यमुना तटवर्ती प्रदेश भी सम्मिलित था क्योंकि वन पर्व महाभारत 130, 21 में यमुना के पार्श्ववर्ती प्रदेश में उशीनर नरेश द्वारा यज्ञ किए जाने का उल्लेख है-

'जलां चोपजलां चैव, यमुनामभितो नदीम्,
उशीनरो वै यत्रेष्ट्वा वासवादत्यरिच्यत।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 102-103| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  1. ऐतरेय ब्राह्मण, 8,14
  2. दुर्गाप्रसाद और काशीनाथ पांडुरंग द्वारा संपादित, तृतीय संस्करण=पृ. 5
  3. विनयपिटक भाग 2, पृष्ठ 39
  4. उद्योग पर्व महाभारत 118, 2

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