हैहय वंश: Difference between revisions
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त्रिपुरी के [[कलचुरी वंश]] को हैहय वंश भी कहा जाता है। [[गुजरात]] के [[सोलंकी वंश]] से इसका संघर्ष चलता था। [[महापद्मनन्द|महापद्म]] द्वारा उन्मूलित प्रमुख राजवंशों में 'हैहय', जिसकी राजधानी [[महिष्मति|महिष्मती]] थी, का भी नाम है। पौराणिक कथाओं में माहिष्मती को हैहयवंशीय [[कार्तवीर्य अर्जुन|कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु]] की राजधानी बताया गया है।<ref>ऐतिहासिक स्थानावली</ref> | त्रिपुरी के [[कलचुरी वंश]] को हैहय वंश भी कहा जाता है। [[गुजरात]] के [[सोलंकी वंश]] से इसका संघर्ष चलता था। [[महापद्मनन्द|महापद्म]] द्वारा उन्मूलित प्रमुख राजवंशों में 'हैहय', जिसकी राजधानी [[महिष्मति|महिष्मती]] थी, का भी नाम है। पौराणिक कथाओं में माहिष्मती को हैहयवंशीय [[कार्तवीर्य अर्जुन|कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु]] की राजधानी बताया गया है।<ref>ऐतिहासिक स्थानावली</ref> | ||
*उत्तर भारत से नागरी लिपि के ढेरों लेख मिलते हैं। इनमें गुहिलवंशी, चाहमान (चौहान) वंशी, राष्ट्रकूट, चौलुक्य (सोलंकी), परमार, चंदेलवंशी, '''हैहय (कलचुरी)''' आदि राजाओं के नागरी लिपि में लिखे हुए दानपत्र तथा शिलालेख प्रसिद्ध हैं। | *उत्तर [[भारत]] से नागरी [[लिपि]] के ढेरों लेख मिलते हैं। इनमें गुहिलवंशी, चाहमान (चौहान) वंशी, राष्ट्रकूट, चौलुक्य (सोलंकी), परमार, चंदेलवंशी, '''हैहय (कलचुरी)''' आदि राजाओं के नागरी लिपि में लिखे हुए दानपत्र तथा शिलालेख प्रसिद्ध हैं। | ||
*पुराणों के अनुसार महाभारत-युद्ध के बाद से लेकर महापद्मनंद के समय तक 23 शूरसेन, 24 इक्ष्वाकु, 27 पंचाल, 24 काशी, 28 हैहय, 32 कलिंग, 25 अश्मक, 36 कुरु, 28 मैथिल और 20 बीति-होत्र राजाओं ने भारत पर शासन किया। <ref>पार्जीटर-डाइनेस्टीज़ आफ कलिएज, पृ० 23-4।</ref> | *पुराणों के अनुसार [[महाभारत|महाभारत-युद्ध]] के बाद से लेकर [[महापद्मनंद]] के समय तक [[शूरसेन|23 शूरसेन]], [[इक्ष्वाकु|24 इक्ष्वाकु]], [[पंचाल|27 पंचाल]], [[काशी|24 काशी]], 28 हैहय, 32 कलिंग, 25 अश्मक, 36 कुरु, 28 मैथिल और 20 बीति-होत्र राजाओं ने भारत पर शासन किया। <ref>पार्जीटर-डाइनेस्टीज़ आफ कलिएज, पृ० 23-4।</ref> | ||
*बाहु नामक सूर्यवंश के राजा और सगर के पिता को हैहयों और तालजंधों ने परास्त कर देश-निष्कासित किया था। <ref>महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय 57.</ref> | *बाहु नामक सूर्यवंश के राजा और सगर के पिता को हैहयों और तालजंधों ने परास्त कर देश-निष्कासित किया था। <ref>महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय 57.</ref> | ||
*[[परशुराम]] ने युद्ध में हैहयराज अर्जुन को मारा तथा केवल धनुष की सहायता से सरस्वती के तट पर हजारों ब्राह्मणद्वेषी क्षत्रियों को मार डाला। एक बार कार्तवीर्य अर्जुन ने वाणों से समुद्र को त्रस्त कर किसी परम वीर के विषय में पूछा। समुद्र ने उसे परशुराम से लड़ने को कहा। परशुराम को उसने अपने व्यवहार से बहुत रुष्ट कर दिया। अत: परशुराम ने उसकी हजार भुजाएं काट डालीं। <ref> महाभारत, सभापर्व, अध्याय 38, द्रोणपर्व, अध्याय 70 आश्वमेधिकपर्व, अध्याय 29</ref> | *[[परशुराम]] ने युद्ध में हैहयराज अर्जुन को मारा तथा केवल धनुष की सहायता से [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] के तट पर हजारों ब्राह्मणद्वेषी क्षत्रियों को मार डाला। एक बार कार्तवीर्य [[अर्जुन]] ने वाणों से समुद्र को त्रस्त कर किसी परम वीर के विषय में पूछा। समुद्र ने उसे [[परशुराम]] से लड़ने को कहा। परशुराम को उसने अपने व्यवहार से बहुत रुष्ट कर दिया। अत: परशुराम ने उसकी हजार भुजाएं काट डालीं।<ref> महाभारत, सभापर्व, अध्याय 38, द्रोणपर्व, अध्याय 70 आश्वमेधिकपर्व, अध्याय 29</ref> | ||
*[[किंवदंती]] है कि सहस्त्रबाहु ने अपनी सहस्त्र भुजाओं से [[नर्मदा]] का प्रवाह रोक दिया था। चीनी यात्री [[युवानच्वांग]], 640 ई0 के लगभग इस स्थान पर आया था। उसके लेख के अनुसार उस समय माहिष्मती में एक ब्राह्मण राजा राज्य करता था।<ref>ऐतिहासिक स्थानावली</ref> | *[[किंवदंती]] है कि सहस्त्रबाहु ने अपनी सहस्त्र भुजाओं से [[नर्मदा]] का प्रवाह रोक दिया था। चीनी यात्री [[युवानच्वांग]], 640 ई0 के लगभग इस स्थान पर आया था। उसके लेख के अनुसार उस समय माहिष्मती में एक ब्राह्मण राजा राज्य करता था।<ref>ऐतिहासिक स्थानावली</ref> | ||
Revision as of 12:00, 12 September 2011
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त्रिपुरी के कलचुरी वंश को हैहय वंश भी कहा जाता है। गुजरात के सोलंकी वंश से इसका संघर्ष चलता था। महापद्म द्वारा उन्मूलित प्रमुख राजवंशों में 'हैहय', जिसकी राजधानी महिष्मती थी, का भी नाम है। पौराणिक कथाओं में माहिष्मती को हैहयवंशीय कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु की राजधानी बताया गया है।[1]
- उत्तर भारत से नागरी लिपि के ढेरों लेख मिलते हैं। इनमें गुहिलवंशी, चाहमान (चौहान) वंशी, राष्ट्रकूट, चौलुक्य (सोलंकी), परमार, चंदेलवंशी, हैहय (कलचुरी) आदि राजाओं के नागरी लिपि में लिखे हुए दानपत्र तथा शिलालेख प्रसिद्ध हैं।
- पुराणों के अनुसार महाभारत-युद्ध के बाद से लेकर महापद्मनंद के समय तक 23 शूरसेन, 24 इक्ष्वाकु, 27 पंचाल, 24 काशी, 28 हैहय, 32 कलिंग, 25 अश्मक, 36 कुरु, 28 मैथिल और 20 बीति-होत्र राजाओं ने भारत पर शासन किया। [2]
- बाहु नामक सूर्यवंश के राजा और सगर के पिता को हैहयों और तालजंधों ने परास्त कर देश-निष्कासित किया था। [3]
- परशुराम ने युद्ध में हैहयराज अर्जुन को मारा तथा केवल धनुष की सहायता से सरस्वती के तट पर हजारों ब्राह्मणद्वेषी क्षत्रियों को मार डाला। एक बार कार्तवीर्य अर्जुन ने वाणों से समुद्र को त्रस्त कर किसी परम वीर के विषय में पूछा। समुद्र ने उसे परशुराम से लड़ने को कहा। परशुराम को उसने अपने व्यवहार से बहुत रुष्ट कर दिया। अत: परशुराम ने उसकी हजार भुजाएं काट डालीं।[4]
- किंवदंती है कि सहस्त्रबाहु ने अपनी सहस्त्र भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था। चीनी यात्री युवानच्वांग, 640 ई0 के लगभग इस स्थान पर आया था। उसके लेख के अनुसार उस समय माहिष्मती में एक ब्राह्मण राजा राज्य करता था।[5]
कलचुरी वंश
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
कोकल्ल प्रथम ने लगभग 845 ई. में कलचुरी वंश की स्थापना की थी। उसने त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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