ज्वालामुखी: Difference between revisions
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* यदि उदगार के समय घर से बाहर हैं, तो कार या किसी भवन में आश्रय लें। यदि ज्वालामुखीय राख में फंस जाएं, तो डस्ट मॉस्क (dust mask) पहनें या अपने मुंह व नाक को रूमाल से ढंक लें। | * यदि उदगार के समय घर से बाहर हैं, तो कार या किसी भवन में आश्रय लें। यदि ज्वालामुखीय राख में फंस जाएं, तो डस्ट मॉस्क (dust mask) पहनें या अपने मुंह व नाक को रूमाल से ढंक लें। | ||
* घर में ही ठहरें क्योंकि ज्वालामुखी की राख स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, विशेषकर यदि आप को सांस की परेशानियां, जैसे दमा या ब्रोंकाइटिस है। | * घर में ही ठहरें क्योंकि ज्वालामुखी की राख स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, विशेषकर यदि आप को सांस की परेशानियां, जैसे दमा या ब्रोंकाइटिस है। | ||
* जब घर में हों तो ज्वालामुखीय राख को अंदर आने से रोकने के लिए सभी खिड़की- | * जब घर में हों तो ज्वालामुखीय राख को अंदर आने से रोकने के लिए सभी खिड़की-दरवाज़े बन्द कर दें। दहलीजों पर भीगे तौलिये रखें। | ||
* फोन लाइनों को गैर-आपातकालीन कॉलों पर व्यस्त न रखें। | * फोन लाइनों को गैर-आपातकालीन कॉलों पर व्यस्त न रखें। | ||
* यदि आपको बाहर जाना हो तो मास्क व चश्मे जैसे सुरक्षात्मक उपकरण इस्तेमाल करें और अपनी त्वचा को यथासम्भव ढककर रखें। | * यदि आपको बाहर जाना हो तो मास्क व चश्मे जैसे सुरक्षात्मक उपकरण इस्तेमाल करें और अपनी त्वचा को यथासम्भव ढककर रखें। |
Revision as of 14:31, 31 July 2014
thumb|250px|ज्वालामुखी ज्वालामुखी भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है, जिससे होकर पृथ्वी का विघला पदार्थ लावा, राख, वाष्प तथा अन्य गैसें बाहर निकलती हैं। बाहर हवा में उड़ा हुआ लावा शीघ्र ही ठंडा होकर छोटे ठोस टुकड़ों में बदल जाता है, जिसे 'सिंडर' कहते हैं। उद्गार में निकलने वाली गैसों में वाष्प का प्रतिशत सर्वाधिक होता है। पृथ्वी पर जितने भी ज्वालामुखी मौजूद हैं, उनमें से ज़्यादातर दस हज़ार से एक लाख साल पुराने हैं। वक्त के साथ-साथ इनकी ऊँचाई भी बढ जाती है। ज्वालामुखी पर्वत से निकलने वाली चीज़ों में मैग्मा के साथ कई तरह की विषैली गैसें भी होती हैं। ये गैसें आस-पास बसे लोगों के लिए काफ़ी घातक होती हैं। इन पर्वतों से निकला मैग्मा एक बहती हुई आग के समान होता है। यह अपने सामने आई हर चीज़ को पूरी तरह से समाप्त कर देता है।
उद्गार या विस्फोट
ज्वालामुखी का उद्गार एक केन्द्र या छिद्र द्वारा अथवा दरार से होता है। केन्द्रीय उद्गार वाले ज्वालामुखी प्रायः भयंकर और तीव्र वेग वाले होते हैं, जबकि दरारी उद्गार में लावा प्रायः धीरे-धीरे निकल कर भू-पृष्ठ पर फैल जाता है। केन्द्रीय उद्गार में निःसृत लावा तथा अन्य पदार्थ अधिक ऊँचाई तक आकाश में पहुँच जाते हैं तथा आकाश में प्रायः बादल छा जाते हैं और विखंडित पदार्थ पुनः तीव्रता से नीचे गिरते हैं। thumb|left|250px|ज्वालामुखी ये ज्वालामुखी अधिक भयंकर तथा विनाशकारी होते हैं। केन्द्रीय उद्गार वाले ज्वालामुखी उद्गार की अवधि, अंतराल तथा प्रकृति के अनुसार कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें विशिष्ट ज्वालामुखी के आधार पर कई वर्गों में विभक्त किया जाता है। इनमें प्रमुख प्रकार हैः हवाई, स्ट्राम्बोली, वल्कैनो, पीलियन, तथा विसूवियस तुल्य ज्वालामुखी।
विस्फोट से पूर्व के संकेत
किसी भी ज्वालामुखी के आग उगलने से पहले कुछ परिवर्तन सामान्य रूप से देखे जाते हैं। इनमें उस जगह के आस-पास मौजूद पानी का स्तर अचानक बढने लगता है। ज्वालामुखी फटने से पहले भूकम्प के कुछ हल्के झटके भी आते हैं। इन तमाम बातों के अलावा ज्वालामुखी क्या-क्या तबाही लाने वाला है, इसका संकेत वह स्वयं भी देता है। जो ज्वालामुखी पर्वत फटने वाला होता है, उस पर्वत में से गैसों का रिसाव शुरू हो जाता है। गैसों का यह रिसाव इसके मुहाने (मुख) या फिर 'क्रेटर' से होता है। इसके अलावा, पर्वत में कई जगह पैदा हुई दरारों से भी इन गैसों का रिसाव होता है। यह इस बात का संकेत है कि अब इसके आग उगलने का समय आ गया है। इन गैसों में सल्फ़र-डाई-ऑक्साइड, कॉर्बन-डाई-ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड आदि प्रमुख गैसें होती हैं। इनमें से हाइड्रोजन-क्लोराइड और कॉर्बन-डाई-ऑक्साइड बेहद ख़तरनाक होती है।[1]
अस्तित्त्व
ज्वालामुखी न सिर्फ़ पृथ्वी पर ही मौजूद हैं, बल्कि इनका अस्तित्व महासागरों में भी है। समुद्र में क़रीब दस हज़ार ज्वालामुखी मौजूद हैं। आज भी कई ज्वालामुखी वैज्ञानिकों की निगाह से बचे हुए हैं। विनाशकारी सुनामी लहरों का निर्माण भी समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट से ही होता है। सबसे बड़ा ज्वालामुखी पर्वत हवाई में है। इसका नाम 'मोना लो' है। यह क़रीब 13000 फ़ीट ऊँचा है। यदि इसको समुद्र की गहराई से नापा जाए, तो यह क़रीब 29000 फ़ीट ऊँचा है। इसका अर्थ है कि यह माउंट एवरेस्ट से भी ऊँचा है। thumb|250px|ज्वालामुखी इसके बाद सिसली के 'माउंट ऐटना' का नंबर आता है। यह विश्व का एकमात्र सबसे पुराना ज्वालामुखी है। यह 3,5000 साल पुराना है। ज्वालामुखी 'स्ट्रोमबोली' को तो 'लाइटहाउस ऑफ़ मैडिटैरियन' कहा जाता है। इसकी वजह है कि यह हर वक्त सुलगता ही रहता है।
खनिज पदार्थ
ज्वालामुखी के मुख से निकली ये गैसें वातावरण को काफ़ी प्रदूषित करती हैं। ज्वालामुखी से निकले लावे में कई तरह के खनिज भी होते हैं। ज्वालामुखी पर्वत कई तरह की चट्टानों से बने होते हैं। इनमें काली, सफ़ेद, भूरी चट्टानें आदि शामिल हैं। अमेरिका में एण्डिज पर्वतमाला को ज्वालामुखी पर्वत शृंखला के तौर पर लिया जाता है। हवाई (अमेरिका) में मौजूद कई टापू अपने काली मिट्टी से बने तटों के लिए बेहद प्रसिद्ध हैं। ये तट और कुछ नहीं, बल्कि इन पर्वतों से निकले खनिज ही हैं। ज्वालामुखी ज़मीन की अथाह गहराई में छिपे खनिजों को एक ही बार में बाहर फेंक देता है।[1]
ज्वालामुखी के प्रकार
एक अनुमान के मुताबिक अभी तक पूरी दुनिया में क़रीब 1500 जीवित ज्वालामुखी पर्वत हैं। हिमालय एक मृत ज्वालामुखी है, इसलिए इससे किसी भी प्रकार का ख़तरा होने की आशंका नहीं है। मगर दूसरी तरफ 'माउंट एटना' समेत कई अन्य जीवित ज्वालामुखी हैं, क्योंकि इनसे समय-समय पर लावा और गैस निकलती रहती हैं। ये इंसानी जान के लिए हमेशा से ही ख़तरनाक रहे हैं। एशिया महाद्वीप पर सबसे ज़्यादा ज्वालामुखी इंडोनेशिया में हैं। उद्गार की अवधि के अनुसार ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं- thumb|ज्वालामुखी
भारत में ज्वालामुखी
यह सोचना ग़लत है कि भारत में ज्वालामुखी नहीं हैं। भारत के दो सबसे ख़तरनाक ज्वालामुखी अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर हैं। इनमें से एक बैरन द्वीप है। 2004 में आई सुनामी के दौरान बैरन फट गया था। इस दौरान इसके 500 मीटर ऊँचे क्रेटर से लावा निकलने लगा था। अंडमान की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से क़रीब 135 किलोमीटर दूर बैरन द्वीप में इससे पहले 1996 में विस्फोट हुआ था। इसी के मिलते जुलते नाम वाला ज्वालामुखी है, 'बैरन आयलैंड'। गोल आकार वाले इस ज्वालामुखी में 1994-95 में कई विस्फोट हो चुके हैं। इससे निकले लावे के निशान आज भी मौजूद हैं। अंडमान में ही तीसरा बड़ा ज्वालामुखी है, 'नारकोंडम'। जिसे पहले समाप्त मान लिया गया था। जून 2005 में इस ज्वालामुखी से कीचड़ और धुआँ निकलता देखा गया था। इससे पहले 100 साल तक इसमें कोई गतिविधि नहीं हुई थी। कहा जाता है कि 2004 में सुमात्रा में आए भूकम्प की वजह से इसमें विस्फोट हुआ।
शक्तिशाली ज्वालामुखी
वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती पर सबसे ज़्यादा ख़तरनाक ज्वालामुखी 'तंबोरा' है। जो इंडोनेशिया में मौजूद है। हिन्द महासागर में सबसे ज़्यादा ताकतवर ज्वालामुखी 'पिटों दे ला फॉर्नेस' है, तो पृथ्वी का सबसे बड़ा ज्वालामुखी 'मौना लोआ' को माना जाता है। जो हवाई द्वीप में है। इनके अलावा भी सैकड़ों ऐसे ज्वालामुखी हैं, जो भूकम्प के हालात पैदा होने पर ख़तरा बन जाते हैं।
सावधानियाँ एवं उपाय
ज्वालामुखी उदगार से पहले
- अपने घर के सदस्यों के साथ मिलकर बचाव हेतु स्थान छोड़कर जाने का अभ्यास करें।
- एक घरेलू आपातकालीन योजना बनाएं। अपने घर के लिये तथा साथ ले कर जा सकने वाली गेटअवे किट के लिये आपातकालीन बचाव वस्तुओं को व्यवस्थित करें और इनका रखरखाव बनाए रखें।
- अपनी आपातकालीन योजनाओं में अपने पालतू पशुओं और पशुधन को शामिल करें।
जब ज्वालामुखी उदगार का खतरा हो
- अपने स्थानीय रेडियो केन्द्रों को सुनें जहां आपातकालीन प्रबंधन कर्मचारी आपके समुदाय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त जानकारी प्रसारित करेंगे।
- अपनी आपातकालीन योजना पर कार्यवाही करें।
- यदि आप विकलांग हैं या आपको सहायता की आवश्यकता हो तो, अपने सहयोगी नेटवर्क से सम्पर्क करें और नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के प्रति जागरूक रहें।
- सभी मशीनों को ज्वालामुखी की राख से बचाने के लिए गैराज या शेड में रखें, या उनको बड़े तिरपाल से ढक दें।
- पालतू पशुओं और पशुधन को ज्वालामुखी राख से बचाने के लिए बन्द आश्रयस्थलों पर ले आएं।
- नाजुक इलेक्ट्रॉनिक सामानों को बचाकर रखें और उन्हें तब तक न खोलें जब तक कि वातावरण पूर्ण रूप से राख रहित न हो जाए।
- उन मित्रों और पड़ोसियों के विषय में पता लगाएं, जिनको किसी विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
ज्वालामुखी उदगार के दौरान
- नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के लिए रेडियो सुनें और दिशानिर्देशों का पालन करें।
- यदि उदगार के समय घर से बाहर हैं, तो कार या किसी भवन में आश्रय लें। यदि ज्वालामुखीय राख में फंस जाएं, तो डस्ट मॉस्क (dust mask) पहनें या अपने मुंह व नाक को रूमाल से ढंक लें।
- घर में ही ठहरें क्योंकि ज्वालामुखी की राख स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, विशेषकर यदि आप को सांस की परेशानियां, जैसे दमा या ब्रोंकाइटिस है।
- जब घर में हों तो ज्वालामुखीय राख को अंदर आने से रोकने के लिए सभी खिड़की-दरवाज़े बन्द कर दें। दहलीजों पर भीगे तौलिये रखें।
- फोन लाइनों को गैर-आपातकालीन कॉलों पर व्यस्त न रखें।
- यदि आपको बाहर जाना हो तो मास्क व चश्मे जैसे सुरक्षात्मक उपकरण इस्तेमाल करें और अपनी त्वचा को यथासम्भव ढककर रखें।
- कान्टैक्ट लेन्स के बजाय चश्मे पहनें वरना यह कार्निया में खरोंच का कारण बन सकते हैं।
- जिन पाइपों/नालियों से गटर को गन्दे पानी की निकासी होती हो उन्हें जाम होने से रोकने के लिए कनेक्शन बंद कर दें। यदि आप पानी की आपूर्ति के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रणाली इस्तेमाल करते हों तो टैंक का कनेक्शन बंद कर दें।
- चिन्हित निषिद्ध क्षेत्रों से बाहर ठहरें।
ज्वालामुखी उदगार के बाद
- नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के लिए आपके स्थानीय रेडियो केन्द्रों को सुनें और दिशानिर्देशों का पालन करें।
- घरों में ठहरें और ज्वालामुखी की राख गिरने वाले स्थानों से यथासम्भव दूर रहें।
- जब बाहर जाना सुरक्षित हो, तो अपने गटर और छत की राख साफ करें क्योंकि अधिक राख जमा होने से आपकी छत ढह सकती है।
- यदि आपको आपूर्ति किए जा रहे पानी में अधिक राख हो तो अपने डिशवाशर या वाशिंग मशीन को इस्तेमाल न करें।
- अधिक राख गिरने पर वाहन न चलाएं क्योंकि इससे राख उड़ सकती है जो इंजन को जाम कर सकती है और जो आपके वाहन को काफी क्षतिग्रस्त कर सकती है।
- पशुओं को जहां तक संभव हो बंद जगहों पर रखें, उनके पेट में राख जाने से रोकने के लिए उनके पंजों/खुरों व त्वचा की राख साफ कर दें, और उन्हें पीने के लिए साफ पानी दें।
- राख साफ करते समय आंखों को सुरक्षित रखने के लिए मॉस्क या भीगे कपड़े का इस्तेमाल करें। राख को साफ करने से पहले उस पर छिड़काव करके नम बना दें।
- उपयोगी सेवाओं की टूटी लाईनों को जांचें और उपयुक्त प्राधिकारियों को इसकी रिपोर्ट करें।
- यदि आपकी संपत्ति नष्ट हो गई हो, तो बीमा उद्देश्यों के लिए इसका विवरण लिखें और फोटो खींच लें। यदि आपकी सम्पत्ति किराए की है, तो जितनी जल्दी संभव हो सके अपने मकान-मालिक से सम्पर्क करें और अपनी संबंधित बीमा कंपनी से सम्पर्क करें।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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