आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट: Difference between revisions
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सफलता पाने के लिए प्रयास करना, संघर्ष करना और उसका आनंद लेने के सपने देखना तो चलता ही रहता है किंतु यह आनंद उन्हीं के हिस्से आता है जो सफलता प्राप्ति के संघर्ष में सफलता को स्थाई रखना भी सीख जाते हैं... | |||
हाँ-हाँ बाबा मैं भी जानता हूँ कि सफलता स्थाई नहीं होती लेकिन किसी न किसी स्वरूप में बनी अवश्य रह सकती है यदि सफलता को संभालने का अनुभव हासिल कर लिया हो। यह अनुभव सफल व्यक्तियों के आचार-व्यवहार का अध्ययन करके ही होता है। | |||
सबसे मज़ेदार बात यह है कि सफलता प्राप्ति का लम्बा संघर्ष उस प्राप्त होने वाली सफलता को स्थाई रख पाने का शिक्षक होता है। | |||
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| 29 अक्टूबर, 2014 | |||
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कभी सब कुछ अच्छा होता है तब भी मन उदास होता है और कभी सब कुछ विपरीत होने पर भी मन में उल्लास रहता है। | |||
ऐसा क्यों होता है? | |||
कारण है कि विपरीत स्थिति में चुनौती सामने होती है और जब सब कुछ पक्ष में होता है तो चुनौती का अभाव ही मन को उदास कर देता है। जीवन में चुनौती की भूमिका एक टॉनिक की तरह है। जो मिलता रहे तो जीवन, जीवन है और सब कुछ जीवंत। -आदित्य चौधरी | |||
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| 29 अक्टूबर, 2014 | |||
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युद्ध, चुनाव, स्पर्धा में लक्ष्य केवल जीत होता है। इस जीत को हासिल करने की शर्त होती है, सब कुछ दांव पर लगाना। कहते भी हैं कि जीतने के लिए कोई भी क़ीमत चुकानी पड़े, जीत हमेशा सस्ती होती है। इसका सीधा-सीधा अर्थ है कि जीत हासिल करने के लिए कुछ भी गंवाना पड़े वह जायज़ है। | |||
कुछ ऐसा ही हम अपने बच्चों को सिखा रहे हैं। इसके साथ-साथ हमें यह भी चिंता रहती है कि हमारे बच्चे सहृदय बनें, बुढ़ापे में हमारे साथ दें... यह कैसे मुमकिन है जब कि उनकी ट्रेनिंग ही बिल्कुल अलग तरह से हो रही है। जिसके मूल में पैसा है और हम अपने बच्चों को पैसा बनाने की मशीन बनाने के अलावा और कर क्या कर रहे हैं... - आदित्य चौधरी | |||
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| 29 अक्टूबर, 2014 | |||
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Revision as of 11:40, 31 October 2014
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