भुक्ति: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:41, 20 April 2018
उत्तर भारत में 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' के अनुसार भुक्ति ज़िलों के समूह या प्रांत को कहा जाता था। जैसे कि पुंड्रवर्धन भुक्ति, तिर-भुक्ति आदि। भुक्ति को कहीं-कहीं बिषय भी कहा जाता था। भुक्ति शब्द का प्रयोग लद्यु प्रशासकीय इकाइयों को इंगित करने के लिए भी किया जाता था। गुप्त काल में साम्राज्य देस या देश के नाम से अनेक प्रांतों में विभाजित किया जाता था, जिन पर गोप्तृ शासन करता था। देश को भुक्तियों में विभाजित किया जाता था, जिन पर उपरिकमहाराज शासन करते थे। परंतु राष्ट्रकूट अभिलेखों में हमें कादनूर, कोप्पर, मज्जंतीय, प्रतिष्ठान राशियन और सरकच्छ जैसी भुक्तियों का उल्लेख मिलता है, जो विषय या ज़िलों का उपभोग होते थे। संभवत: वे चालुक्य प्रशासन व्यवस्था की इकाई भोग के समतुल्य थे।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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