पेरुनजेरल इरंपोरई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:26, 8 May 2011 by अश्वनी भाटिया (talk | contribs) (Adding category Category:चेर वंश (को हटा दिया गया हैं।))
Jump to navigation Jump to search
  • पेरुनजेरल इंरपोरई (लगभग 190 ई.), आदन का पुत्र था।
  • इंरपोरई ने सामन्तों की राजधानी तडगूर पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।
  • उसने विद्धान, अनेक यज्ञ को सम्पन्न कराने वाला एवं अनेक वीर पुत्रों का पिता होने का गौरव प्राप्त किया था।
  • इसने 'अमरयवरम्वन' की उपाधि ग्रहण की थी, जिसका अर्थ होता है- हिमालय तक सीमा वाला, अर्थात उसने समस्त भारत पर विजय प्राप्त की तथा हिमालय पर चेर वंश का चिन्ह अंकित किया।
  • इसकी राजधानी 'मरन्दई' थी।
  • इरंपोरई का विरोधी तडगूर के राजा 'अदिगयमान' अथवा 'नडुमान' का महत्त्वपूर्ण कार्य था- दक्षिणी भू-भाग में सर्वप्रथम गन्ने की खेती को आरम्भ करवाना।
  • इंरपोरई के विषय में कहा जाता है कि, उसने पाण्ड्य साम्राज्य तथा चोल वंश के शासकों से युद्ध किया और बहुत सा धन अपनी राजधानी वांजि (कुरुवुर) लाया।
  • टॉलमी ने यहां अनेक रोमन सिक्के मिलने की बात कही हैं।
  • संगम कालीन कवियों ने इरंपोरई को अन्तिम चेर शासक माना है।
  • किंतु लगभग 290 ई. में एक और अंतिम चेर शासक, जिसका नाम 'शेय' (हाथी की आँख वाला) एवं जिसकी उपाधि 'मांदरंजीजल इरंपोरई' थी, का उल्लेख मिलता है।
  • यह सुविख्यात कवियत्री औवैयार का समर्थक तथा उसके सात संरक्षकों में से एक था।
  • औवैयार ने उसकी प्रशंसा में अनेक गीत लिखे हैं।
  • इसके अतिरिक्त चेर वंश के अन्य राजा 'गजमुखशीय' का नाम भी उल्लेखनीय है। उसे मान्दरंजीरल इरम्पोरई (210 ई.) की उपाधि मिली थी।
  • चोलों का प्राचीनतम उल्लेख कात्यायन ने किया है।
  • ई.पू. दूसरी शती में एलारा नामक चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की और लगभग 50 वर्षो तक वहां शासन किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः