आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
आदित्य चौधरी फ़ेसबुक पोस्ट
पोस्ट संबंधित चित्र दिनांक

बहुत कम लोग जानते हैं कि अपने जीवन की वास्तविक स्थिति और अपनी क्षमताओं का वास्तविक ज्ञान होना एक प्रतिभा है।
यह सभी व्यक्तियों में नहीं होती।
अधिकतर व्यक्ति काल्पनिक दुनिया में जीते हैं।
इस सब में वे एक नक़ली दुनिया भी बना लेते हैं।
ऐसे लोग स्वभाव से स्वार्थी भी हो सकते हैं और स्वयं को श्रेष्ठ समझते हैं तो दूसरों को साधारण।
अपनी बुद्धि, क्षमता और प्रतिभा के संबंध में अधिकतर लोग भ्रम में जीते हैं।
अपनी बुद्धि के संबंध में सही जानकारी होना एक बहुत ही कठिन बात है।
यह योग्यता अर्जित की जा सकती है या नहीं, कहना कठिन है।
सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे व्यक्ति अति बुद्धिमान भी हो सकते हैं लेकिन ‘वास्तविकता के ज्ञान’ के अभाव में अपने जीवन को सामान्य मनुष्य की तरह नहीं जी पाते। अपने द्वारा की गई भूलों के प्रति वे न तो सचेत रहते हैं और न ही उनके प्रायश्चित के संबंध में तत्पर। दूसरों की सफलता भी उन्हें बहुत साधारण लगती है। वे सोचते हैं कि यदि उन्होंने भी प्रयास किया होता तो वे भी सफल हो सकते थे। ऐसे लोग स्वयं को विशेष और विशिष्ट भी माने रहते हैं। जैसे कि पूरे विश्व में ईश्वर ने केवल उन्हें ही विलक्षण बनाया हो।
हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अधिक से अधिक वास्तविकता के क़रीब रहें। इस प्रतिभा को हम अर्जित तो नहीं कर सकते लेकिन विवेक और विनम्रता के अभ्यास से इसके आस-पास अवश्य हो सकते हैं। यहाँ एक बात ग़ौर करने की है कि विनम्रता ‘वास्तविक’ हो न कि ओढ़ी हुई।
यदि वास्तविक विनम्रता का अभ्यास करना हो तो अपनों से छोटों, कमज़ोरों और ज़रूरतमंदों के प्रति करें।

center|200px 22 मार्च, 2016

उम्र के बढ़ने के साथ, जिज्ञासाओं के प्रति उदासीनता होना ही जीवित रहते हुए भी मर जाने के समान है।
आप जितने अधिक जिज्ञासु हैं, उतने ही अधिक जीवन से भरे हुए हैं अर्थात जीवंत हैं।
जिसके पास नये-नये प्रश्न नहीं हैं वह कैसे साबित करेगा कि वह जीवित है।
छोटे बच्चों में अपार जिझासा होती है, असंख्य प्रश्न होते हैं।
इसलिए बच्चे जीवन से भरे होते हैं।
जिझासा का मर जाना, मनुष्य के मर जाने जैसा ही है।

center|200px 19 मार्च, 2016

जिस समय हम किसी मुद्दे पर बहस कर रहे होते हैं तो सामने वाले की बात को ‘जितना’ ग़लत साबित करने की कोशिश कर रहे होते हैं उतनी ग़लत उसकी बात होती नहीं है।
इसी तरह हम अपनी बात को जितना सही साबित करने की कोशिश कर रहे होते हैं वह उतनी सही भी नहीं होती।
इन बहसों में हमारे उत्तेजित हो जाने का कारण भी अक्सर यही होता है।

center|200px 18 मार्च, 2016

तनाव मुक्ति के बहुत से साधन हैं
लेकिन एक बहुत ही चमत्कारिक है
आप जिससे नफ़रत करते हैं उसे क्षमा कर दें
उसके प्रति भी करुणा का भाव मन में ले आएँ
तुरंत मन हलका हो जाता है
हाँ एक बात का ध्यान रखें कि यह आप अपने लिए कर रहे हैं
उस व्यक्ति से कोई उम्मीद न रखें

center|200px 18 मार्च, 2016

सफल होने का तरीक़ा कोई जाने न जाने लेकिन
अपनी असफलता का रहस्य सबको पता होता है
और इसी छिपा होता है सफलता का रहस्य

center|200px 18 मार्च, 2016






शब्दार्थ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः