रदीफ़: Difference between revisions

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Latest revision as of 13:04, 25 February 2013

रदीफ़ वह समांत शब्द अथवा शब्द समूह है जो मतले के दोनों मिसरों के अंत में आता है तथा अन्य अश'आर के मिसरा-ए-सानी अर्थात दूसरी पंक्ति के अंत में आता है और पूरी ग़ज़ल में एक सा रहता है।

उदाहरण

आग के दरमियान से निकला
मैं भी किस इम्तिहान से निकला
चाँदनी झांकती है गलियों में
कोई साया मकान से निकला - (शकेब जलाली)[1]

प्रस्तुत अश'आर में से 'निकला' रदीफ़ है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ (हिंदी) open books online। अभिगमन तिथि: 23 फ़रवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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