क्षणिका

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क्षणिका एक साहित्यिक विधा है। वास्तव में क्षणिका को योजनाबद्ध तरीके से नहीं लिखा जा सकता। यह वह भाव है यो अनायास ही कोरे पन्नों पर स्वयं अंकित होता है।

  • सरल रूप में कहा जाये तो की आशुकवि ही क्षणिका की रचना कर सकता है। साथ ही क्षणिका जितनी मर्मस्पर्शी होगी, उतनी वह पाठक के मन पर प्रभाव छोड़ेगी।
  • क्षणिका को 'छोटी कविता' भी कहा सकता है।
  • यह हास्य, गम्भीर, शान्त और करुण आदि रसों में भी लिखी जाती है।
  • क्षणिका को दो भागों में बाँट सकते हैं-
  1. तुकान्त क्षणिका
  2. अतुकान्त क्षणिका


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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