राजेन्द्र द्वितीय: Difference between revisions

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*[[राजाधिराज]] की मृत्यु के बाद उसके छोटे भाई '''राजेन्द्र द्वितीय''' (1052-1064 ई.) ने रणक्षेत्र में ही [[चोल राजवंश]] के राजमुकुट को अपने सिर पर धारण कर लिया और [[चालुक्य वंश|चालुक्य]] राज [[सोमेश्वर प्रथम आहवमल्ल]] के साथ युद्ध जारी रखा।  
'''राजेन्द्र द्वितीय''' (1052-1064 ई.) [[चोल वंश|चोल]] सम्राट [[राजेन्द्र प्रथम]] (1014-1044 ई.) का द्वितीय पुत्र और [[राजाधिराज]] (1044-1052 ई.) का छोटा भाई था। कोप्पम के युद्ध में जब राजेन्द्र द्वितीय का बड़ा भाई राजाधिराज [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] के शासक [[सोमेश्वर प्रथम आहवमल्ल|सोमेश्वर आहवमल्ल]] के द्वारा मारा गया, तब वहीं रणभूमि में ही राजेन्द्र द्वितीय ने अपने भाई का मुकुट सिर पर धारण कर लिया और युद्ध जारी रखा।
*इन युद्धों में किसकी विजय हुई, यह निश्चित कर सकना सम्भव नहीं है, क्योंकि सोमेश्वर और राजेन्द्र द्वितीय दोनों ने ही अपनी प्रशस्तियों में अपनी विजयों का उल्लेख किया है।
==अक्षुण साम्राज्य==
*सम्भवतः इन युद्धों में न चालुक्य राजा चोलों को परास्त सके और न ही राजेन्द्र द्वितीय चालुक्यों को।
[[राजाधिराज]] की मृत्यु के बाद उसके छोटे भाई राजेन्द्र द्वितीय ने रणक्षेत्र में ही [[चोल राजवंश]] के राजमुकुट को अपने सिर पर धारण कर लिया और [[चालुक्य वंश|चालुक्य]] राजा सोमेश्वर आहवमल्ल के साथ युद्ध जारी रखा। इन युद्धों में किसकी विजय हुई, यह निश्चित कर सकना सम्भव नहीं है, क्योंकि सोमेश्वर और राजेन्द्र द्वितीय दोनों ने ही अपनी प्रशस्तियों में अपनी-अपनी विजयों का उल्लेख किया है। सम्भवतः इन युद्धों में न चालुक्य राजा चोलों को परास्त सके और न ही राजेन्द्र द्वितीय चालुक्यों को। वैसे राजेन्द्र द्वितीय ने चोलों की सत्ता और प्रतिष्ठा को पूर्ववत ही बनाये रखा और उसे क्षीण नहीं होने दिया।
*राजेन्द्र द्वितीय की उपाधि 'प्रकेसरी' थी।
====उपाधि====
*उसके समय में भी चोल-[[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य]] संघर्ष अपनी चरम सीमा पर था।
राजेन्द्र द्वितीय की उपाधि 'प्रकेसरी' थी। उसके समय में भी [[चोल]]-[[चालुक्य]] संघर्ष अपनी चरम सीमा पर था। राजेन्द्र द्वितीय ने 'कुंडलसंगमम्' में चालुक्य सेना को पराजित किया था। सोमेश्वर प्रथम ने कुंडलसंगमम् के युद्व में पराजित होने के पश्चात् नदी में डूबकर आत्महत्या कर ली। उसने अपनी लड़की का [[विवाह]] पूर्वी चालुक्य नरेश राजेन्द्र के साथ किया था।
*राजेन्द्र द्वितीय ने 'कुंडलसंगमम्' में चालुक्य सेना को पराजित किया।
*सोमेश्वर प्रथम ने कुंडलसंगमम् के युद्व में पराजित होने के पश्चात् नदी में डूबकर आत्महत्या कर ली।
*उसने अपनी लड़की का विवाह पूर्वी चालुक्य नरेश राजेन्द्र के साथ किया था।
 
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Latest revision as of 14:11, 3 June 2012

राजेन्द्र द्वितीय (1052-1064 ई.) चोल सम्राट राजेन्द्र प्रथम (1014-1044 ई.) का द्वितीय पुत्र और राजाधिराज (1044-1052 ई.) का छोटा भाई था। कोप्पम के युद्ध में जब राजेन्द्र द्वितीय का बड़ा भाई राजाधिराज कल्याणी के शासक सोमेश्वर आहवमल्ल के द्वारा मारा गया, तब वहीं रणभूमि में ही राजेन्द्र द्वितीय ने अपने भाई का मुकुट सिर पर धारण कर लिया और युद्ध जारी रखा।

अक्षुण साम्राज्य

राजाधिराज की मृत्यु के बाद उसके छोटे भाई राजेन्द्र द्वितीय ने रणक्षेत्र में ही चोल राजवंश के राजमुकुट को अपने सिर पर धारण कर लिया और चालुक्य राजा सोमेश्वर आहवमल्ल के साथ युद्ध जारी रखा। इन युद्धों में किसकी विजय हुई, यह निश्चित कर सकना सम्भव नहीं है, क्योंकि सोमेश्वर और राजेन्द्र द्वितीय दोनों ने ही अपनी प्रशस्तियों में अपनी-अपनी विजयों का उल्लेख किया है। सम्भवतः इन युद्धों में न चालुक्य राजा चोलों को परास्त सके और न ही राजेन्द्र द्वितीय चालुक्यों को। वैसे राजेन्द्र द्वितीय ने चोलों की सत्ता और प्रतिष्ठा को पूर्ववत ही बनाये रखा और उसे क्षीण नहीं होने दिया।

उपाधि

राजेन्द्र द्वितीय की उपाधि 'प्रकेसरी' थी। उसके समय में भी चोल-चालुक्य संघर्ष अपनी चरम सीमा पर था। राजेन्द्र द्वितीय ने 'कुंडलसंगमम्' में चालुक्य सेना को पराजित किया था। सोमेश्वर प्रथम ने कुंडलसंगमम् के युद्व में पराजित होने के पश्चात् नदी में डूबकर आत्महत्या कर ली। उसने अपनी लड़की का विवाह पूर्वी चालुक्य नरेश राजेन्द्र के साथ किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख