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दक्षिण में समुद्र के किनारे पहुंचकर [[राम]] ने समुद्र की आराधना की। प्रसन्न होकर वरूणालय ने [[सगर]]पुत्रों से संबंधित होकर अपने को [[इक्ष्वाकु]]वंशीय बतलाकर राम की सहायता करने का वचन दियां उसने कहा-'सेना में नल नामक [[विश्वकर्मा]] का पुत्र है। वह अपने हाथ से मेरे जल में जो कुछ भी छोड़ेगा वह तैरता रहेगा, डूबेगा नहीं।' इस प्रकार समुद्र पर पुल बना जो 'नलसेतु' नाम से विख्यात है। <ref>[[महाभारत]], [[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]], अध्याय 283, श्लोक 24 से 45 तक</ref>
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Revision as of 02:37, 4 April 2010

नल / Nal

दक्षिण में समुद्र के किनारे पहुंचकर राम ने समुद्र की आराधना की। प्रसन्न होकर वरुणालय ने सगरपुत्रों से संबंधित होकर अपने को इक्ष्वाकुवंशीय बतलाकर राम की सहायता करने का वचन दियां उसने कहा-'सेना में नल नामक विश्वकर्मा का पुत्र है। वह अपने हाथ से मेरे जल में जो कुछ भी छोड़ेगा वह तैरता रहेगा, डूबेगा नहीं।' इस प्रकार समुद्र पर पुल बना जो 'नलसेतु' नाम से विख्यात है। [1]




टीका-टिप्पणी

  1. महाभारत, वनपर्व, अध्याय 283, श्लोक 24 से 45 तक