अलंकार: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Adding category Category:अलंकार (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
Line 44: | Line 44: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{अलंकार}} | |||
{{व्याकरण}} | {{व्याकरण}} | ||
[[Category:हिन्दी भाषा]] | [[Category:हिन्दी भाषा]] |
Revision as of 12:16, 4 January 2011
काव्य में भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित तथा सुन्दर बनाने वाले चमत्कारपूर्ण मनोरंजन ढंग को अलंकार कहते हैं। अलंकार का शाब्दिक अर्थ है, 'आभूषण'। जिस प्रकार सुवर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की।
- संस्कृत के अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डी के शब्दों में 'काव्य' शोभाकरान धर्मान अलंकारान प्रचक्षते' - काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं।
- हिन्दी के कवि केशवदास एक अलंकारवादी हैं।
भेद
अलंकार को दो भागों में विभाजित किया गया है:-
- शब्दालंकार- शब्द पर आश्रित अलंकार
- अर्थालंकार- अर्थ पर आश्रित अलंकार
- आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार- आधुनिक काल में पाश्चात्य साहित्य से आये अलंकार
1.शब्दालंकार
मुख्य लेख : शब्दालंकार
- जहाँ शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि होती है और काव्य में चमत्कार आ जाता है, वहाँ शब्दालंकार माना जाता है।
2.अर्थालंकार
मुख्य लेख : अर्थालंकार
- जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार स्पष्ट हो, वहाँ अर्थालंकार माना जाता है।
आधुनिक/पाश्चात्य अलंकार
अलंकार | लक्षण\पहचान चिह्न | उदाहरण\ टिप्पणी |
---|---|---|
मानवीकरण | अमानव (प्रकृति, पशु-पक्षी व निर्जीव पदार्थ) में मानवीय गुणों का आरोपण | जगीं वनस्पतियाँ अलसाई, मुख धोती शीतल जल से। (जयशंकर प्रसाद) |
ध्वन्यर्थ व्यंजना | ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे वर्णित वस्तु प्रसंग का ध्वनि-चित्र अंकित हो जाय। | चरमर-चरमर- चूँ- चरर- मरर। जा रही चली भैंसागाड़ी। (भगवतीचरण वर्मा) |
विशेषण - विपर्यय | विशेषण का विपर्यय कर देना (स्थान बदल देना) | इस करुणाकलित ह्रदय में अब विकल रागिनी बजती। (जयशंकर प्रसाद) यहाँ 'विकल' विशेषण रागिनी के साथ लगाया गया है जबकि कवि का ह्रदय विकल हो सकता है रागिनी नहीं। |
|
|
|
|
|