पृथ्वीसेन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''पृथ्वीसेन''' (शासनकाल 350 से 365 ई.) [[रुद्रसेन]] के बाद [[वाकाटक वंश]] का राजा नियुक्त हुआ था। इसका पुत्र [[रुद्रसेन द्वितीय]] था, जिसका [[विवाह]] [[गुप्त]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] की पुत्री [[प्रभावती गुप्त]] के साथ हुआ था] | |||
*पृथ्वीसेन के समय [[पाटलिपुत्र]] के गुप्त सम्राट अपनी शक्ति का विस्तार करने में व्याप्त थे। | |||
{{लेख प्रगति | *गुप्त सम्राटों की यह प्रबल इच्छा थी कि [[गुजरात]]-[[काठियावाड़]] से [[शक] महाक्षत्रपों के शासन का अन्त कर [[भारत]] को विदेशी आधिपत्य से सर्वथा मुक्त कर दिया जाए। वाकाटक राजा इस कार्य में उनके सहायक हो सकते थे, क्योंकि उनके राज्य की सीमाएँ शक महाक्षत्रपों के राज्य से मिलती थीं। | ||
|आधार= | *वाकाटक राजा इस समय तक किसी न किसी रूप में गुप्त सम्राटों की अधीनता स्वीकार कर चुके थे, यद्यपि शक्तिशाली सामन्तों के रूप में अपने राज्य पर उनका पूरा अधिकार था। | ||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | *शकों का पराभव करने में वाकाटकों की पूरी सहायता प्राप्त करने के लिए गुप्त सम्राट [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] ने यह उपयोगी समझा, कि उनके साथ और भी घनिष्ट मैत्री का सम्बन्ध स्थापित किया जाए। | ||
|माध्यमिक= | *सम्भवत: इसलिए उसने अपनी कन्या [[प्रभावती गुप्त]] का विवाह पृथ्वीसेन के पुत्र रुद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया था। | ||
|पूर्णता= | *रुद्रसेन द्वितीय की मृत्यु केवल पाँच वर्ष ही शासन करने के बाद 390 ई. के लगभग हो गयी और उसके पुत्रों की आयु बहुत छोटी होने के कारण शासनसूत्र का संचालन प्रभावती गुप्त ने स्वयं अपने हाथों में ले लिया। | ||
|शोध= | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
Line 21: | Line 14: | ||
{{भारत के राजवंश}} | {{भारत के राजवंश}} | ||
[[Category:वाकाटक साम्राज्य]] | [[Category:वाकाटक साम्राज्य]] | ||
[[Category:इतिहास_कोश]] | [[Category:इतिहास_कोश]][[Category:भारत के राजवंश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 12:52, 5 September 2012
पृथ्वीसेन (शासनकाल 350 से 365 ई.) रुद्रसेन के बाद वाकाटक वंश का राजा नियुक्त हुआ था। इसका पुत्र रुद्रसेन द्वितीय था, जिसका विवाह गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त के साथ हुआ था]
- पृथ्वीसेन के समय पाटलिपुत्र के गुप्त सम्राट अपनी शक्ति का विस्तार करने में व्याप्त थे।
- गुप्त सम्राटों की यह प्रबल इच्छा थी कि गुजरात-काठियावाड़ से [[शक] महाक्षत्रपों के शासन का अन्त कर भारत को विदेशी आधिपत्य से सर्वथा मुक्त कर दिया जाए। वाकाटक राजा इस कार्य में उनके सहायक हो सकते थे, क्योंकि उनके राज्य की सीमाएँ शक महाक्षत्रपों के राज्य से मिलती थीं।
- वाकाटक राजा इस समय तक किसी न किसी रूप में गुप्त सम्राटों की अधीनता स्वीकार कर चुके थे, यद्यपि शक्तिशाली सामन्तों के रूप में अपने राज्य पर उनका पूरा अधिकार था।
- शकों का पराभव करने में वाकाटकों की पूरी सहायता प्राप्त करने के लिए गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय ने यह उपयोगी समझा, कि उनके साथ और भी घनिष्ट मैत्री का सम्बन्ध स्थापित किया जाए।
- सम्भवत: इसलिए उसने अपनी कन्या प्रभावती गुप्त का विवाह पृथ्वीसेन के पुत्र रुद्रसेन द्वितीय के साथ कर दिया था।
- रुद्रसेन द्वितीय की मृत्यु केवल पाँच वर्ष ही शासन करने के बाद 390 ई. के लगभग हो गयी और उसके पुत्रों की आयु बहुत छोटी होने के कारण शासनसूत्र का संचालन प्रभावती गुप्त ने स्वयं अपने हाथों में ले लिया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ