आर. सी. बोराल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 7: Line 7:
====नये प्रयोग====
====नये प्रयोग====
कोलकाता के 'न्यू थियेटर्स' में काम करते हुए आर. सी. बोराल ने वहाँ के साउंड इंजीनियर मुकुल बोस, जो कि [[नितिन बोस]] के भाई थे, के साथ एम्पलीफ़्लायर का प्रयोग भी संगीत में प्रारंभ किया। इसी श्रंखला में उन्होंने एक और उपलब्धि हासिल की, वह थी- संगीत वाद्य यंत्रों के साथ ध्वनि प्रभाव देना। वर्ष [[1932]] में आयी फिल्म 'मोहब्बत के आँसू' आर. सी. बोराल की संगीतबद्ध पहली फिल्म तो थी ही, इसके साथ ही यह मशहूर [[कुंदनलाल सहगल]] के अभिनय से भी सजी थी। सहगल द्वारा ही अभिनीत फिल्म 'चंडीदास' ([[1934]]) बोराल जी की सबसे कामयाब फिल्मों में गिनी जाती है। फ़िल्म 'प्रेसीडेंट' ([[1937]]) में कुंदनलाल सहगल द्वारा गाया गया गीत "एक बंगला बने न्यारा" आज तक आर. सी. बोराल और सहगल की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिना जाता है।
कोलकाता के 'न्यू थियेटर्स' में काम करते हुए आर. सी. बोराल ने वहाँ के साउंड इंजीनियर मुकुल बोस, जो कि [[नितिन बोस]] के भाई थे, के साथ एम्पलीफ़्लायर का प्रयोग भी संगीत में प्रारंभ किया। इसी श्रंखला में उन्होंने एक और उपलब्धि हासिल की, वह थी- संगीत वाद्य यंत्रों के साथ ध्वनि प्रभाव देना। वर्ष [[1932]] में आयी फिल्म 'मोहब्बत के आँसू' आर. सी. बोराल की संगीतबद्ध पहली फिल्म तो थी ही, इसके साथ ही यह मशहूर [[कुंदनलाल सहगल]] के अभिनय से भी सजी थी। सहगल द्वारा ही अभिनीत फिल्म 'चंडीदास' ([[1934]]) बोराल जी की सबसे कामयाब फिल्मों में गिनी जाती है। फ़िल्म 'प्रेसीडेंट' ([[1937]]) में कुंदनलाल सहगल द्वारा गाया गया गीत "एक बंगला बने न्यारा" आज तक आर. सी. बोराल और सहगल की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिना जाता है।
==प्रमुख फ़िल्में==
{| width="60%" class="bharattable-pink"
|+आर. सी. बोराल द्वारा संगीत निर्देशित प्रमुख फ़िल्में
|-
! वर्ष
! फ़िल्म
! वर्ष
! फ़िल्म
|-
|1932
| मोहब्बत के आँसू
|1932
| जिन्दा लाश
|-
|1933
| सुबह का सितारा
|1933
| पूरन भगत
|-
|1933
| मीराबाई
|1934
| चंडीदास
|-
|1934
| डाकू मंसूर
|1934
| मोहब्बत की कसौटी
|-
|1935
| कारवाँ-ए-हयात
|1935
| धूप छाँव
|-
|1935
| इंकलाब
|1936
| मंजिल
|-
|1937
| अनाथ आश्रम
|1937
| विद्यापति
|-
|1937
| प्रेसिडेंट
|1938
| अभागिन
|-
|1938
| स्ट्रीट सिंगर
|1939
| सपेरा
|-
|1940
| हार जीत
|1941
| लगन
|-
|1942
| नारी
|1942
| सौगन्ध
|-
|1943
| वापस
|1945
| हमरीही
|-
|1945
| वसीयतनामा
|1948
| अंजानगढ़
|-
|1950
| पहला आदमी
|1950
| स्वामी विवेकानन्द
|-
|1953
| दर्द-ए-दिल
|1953
| श्री चैतन्य महाप्रभु
|}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}

Revision as of 12:02, 20 January 2013

राय चन्द बोराल (जन्म- 19 अक्टूबर, 1903, कलकत्ता, ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 25 नवम्बर, 1981) हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार थे। उन्हें भारतीय सिनेमा में 'पार्श्वगायन' की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। इसके साथ ही बोराल जी को पहली संगीतमय कार्टून फ़िल्म बनाने का भी श्रेय प्राप्त है। उनके द्वारा निर्मित तीन कार्टून कथाचित्रों में 'भुलेर शेषे', 'लाख टाका' एवं 'भोला मास्टर' हैं। आर. सी. बोराल को कार्टून फिल्म बनाने की प्रेरणा मशहूर हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन की फिल्म 'ए सिटी लाइफ़' से मिली थी। सुप्रसिद्ध गायक कुंदनलाल सहगल की प्रतिभा को तराशने, निखारने एवं उसे भारत की जनता से रू-ब-रू करवाने का श्रेय भी आर. सी. बोराल को ही जाता है। हिन्दी फ़िल्मों में दिये हुए विशिष्ट योगदान के लिए आर. सी. बोराल को वर्ष 1978 में 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' और 1979 में 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।

जन्म तथा शिक्षा

आर. सी. बोराल  का जन्म 19 अक्टूबर, 1903 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के एक मशहूर संगीत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम लालचन्द बोराल था, जो शास्त्रीय संगीतकार थे। उन्हें संगीत वाद्य पखावज में प्रसिद्धि प्राप्त थी। घर का माहौल संगीतमय था, इसीलिए बोराल को बचपन से ही सांगीतिक वातावरण मिला था। उन्होंने पंडित विश्वनाथ राव से धमार एवं ग्वालियर घराने के मशहूर सरोद के उस्ताद हाफ़िज़ अली ख़ाँ की सलाह पर उस्ताद माजिद ख़ाँ से तबला बजाने की शिक्षा प्राप्त की।

कैरियर की शुरुआत

आर. सी. बोराल के कैरियर के प्रारंभ से ही संगीतकार पंकज मलिक उनके नजदीकी मित्र बन गये थे। इन दोनों ने सन 1928 से ही फ़िल्मों में प्रवेश किया और उस समय की बनने वाली मूक फिल्मों के लिए संगीत देने का कार्य किया। बाद में जब हिन्दुस्तान का सवाक सिनेमा 1931 से प्रारंभ हुआ, तो उन्होंने धुनें बनाना भी प्रारंभ कर दिया और गायन के लिए पार्श्वगायन के अवसर उपलब्ध कराए। बतौर संगीतकार बोराल साहब कितने सम्मानित व्यक्ति थे, इसका अंदाज़ा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि एस. के. पाल, खेमचंद्र प्रकाश एवं पन्नालाल घोष जैसे संगीतकार उनसे संगीत की शिक्षा ग्रहण करते थे।

नये प्रयोग

कोलकाता के 'न्यू थियेटर्स' में काम करते हुए आर. सी. बोराल ने वहाँ के साउंड इंजीनियर मुकुल बोस, जो कि नितिन बोस के भाई थे, के साथ एम्पलीफ़्लायर का प्रयोग भी संगीत में प्रारंभ किया। इसी श्रंखला में उन्होंने एक और उपलब्धि हासिल की, वह थी- संगीत वाद्य यंत्रों के साथ ध्वनि प्रभाव देना। वर्ष 1932 में आयी फिल्म 'मोहब्बत के आँसू' आर. सी. बोराल की संगीतबद्ध पहली फिल्म तो थी ही, इसके साथ ही यह मशहूर कुंदनलाल सहगल के अभिनय से भी सजी थी। सहगल द्वारा ही अभिनीत फिल्म 'चंडीदास' (1934) बोराल जी की सबसे कामयाब फिल्मों में गिनी जाती है। फ़िल्म 'प्रेसीडेंट' (1937) में कुंदनलाल सहगल द्वारा गाया गया गीत "एक बंगला बने न्यारा" आज तक आर. सी. बोराल और सहगल की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिना जाता है।

प्रमुख फ़िल्में

आर. सी. बोराल द्वारा संगीत निर्देशित प्रमुख फ़िल्में
वर्ष फ़िल्म वर्ष फ़िल्म
1932 मोहब्बत के आँसू 1932 जिन्दा लाश
1933 सुबह का सितारा 1933 पूरन भगत
1933 मीराबाई 1934 चंडीदास
1934 डाकू मंसूर 1934 मोहब्बत की कसौटी
1935 कारवाँ-ए-हयात 1935 धूप छाँव
1935 इंकलाब 1936 मंजिल
1937 अनाथ आश्रम 1937 विद्यापति
1937 प्रेसिडेंट 1938 अभागिन
1938 स्ट्रीट सिंगर 1939 सपेरा
1940 हार जीत 1941 लगन
1942 नारी 1942 सौगन्ध
1943 वापस 1945 हमरीही
1945 वसीयतनामा 1948 अंजानगढ़
1950 पहला आदमी 1950 स्वामी विवेकानन्द
1953 दर्द-ए-दिल 1953 श्री चैतन्य महाप्रभु


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख