आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट: Difference between revisions
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मेरे पसंदीदा शायर अहमद फ़राज़ साहब की मशहूर ग़ज़ल का मत्ला और मक़्ता अर्ज़ है… | मेरे पसंदीदा शायर [[अहमद फ़राज़]] साहब की मशहूर ग़ज़ल का मत्ला और मक़्ता अर्ज़ है… | ||
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें। | अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें। | ||
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जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें॥ | जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें॥ | ||
10 दिसम्बर, अाज पिताजी की पुण्यतिथि है। मैं गर्व करता हूँ कि मैं चौधरी दिगम्बर सिंह जी जैसे पिता का बेटा हूँ। वे स्वतंत्रता सेनानी थे और चार बार संसद सदस्य रहे। वे मेरे गुरु और मित्र भी थे। | 10 दिसम्बर, अाज पिताजी की पुण्यतिथि है। मैं गर्व करता हूँ कि मैं [[चौधरी दिगम्बर सिंह]] जी जैसे पिता का बेटा हूँ। वे स्वतंत्रता सेनानी थे और चार बार संसद सदस्य रहे। वे मेरे गुरु और मित्र भी थे। | ||
उनके स्वर्गवास पर मैंने एक कविता लिखी थी... | उनके स्वर्गवास पर मैंने एक कविता लिखी थी... |
Revision as of 13:23, 27 December 2014
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