आदित्य चौधरी -फ़ेसबुक पोस्ट: Difference between revisions
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| 23 दिसम्बर, 2014 | | 23 दिसम्बर, 2014 | ||
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तू जुलम करै अपनौ है कैंऽऽऽ | |||
तू जुलम करै अपनौ है कैं | |||
काऊ और की बात करुँ मैं का | |||
अब दिनाउँ तो मो पै कटतु नाय | |||
और रात की बात की करुँ मैं का | |||
तू जुलम करै अपनौ है कैं... | |||
सपने ऐसे तू दिखाय गयौ | |||
और आंखिन मेंऊ बसाय गयौ | |||
आवाज हर एक लगै ऐसी | |||
तू आय गयौ तू आय गयौ | |||
तू जुलम करै अपनौ है कैं... | |||
तू समझ कैंऊँ नाय समझ रह्यौ | |||
तू जान कैंऊँ नाय जान रह्यौ | |||
मोहे सबकी बात चुभैं ऐसी | |||
जैसे तीर कलेजाय फार रह्यौ | |||
तू जुलम करै अपनौ है कैं... | |||
का करूँ तीज त्यौहारी कौ | |||
का करूँ मैं होरी दिवारी कौ | |||
अब कौन के काजें सिंगार करूँ | |||
का करूँ भरी अलमारी कौ | |||
तू जुलम करै अपनौ है कैंऽऽऽ | |||
</poem> | |||
| [[चित्र:Brajbhasha-geet-Aditya-Chaudhary.jpg|250px|center]] | |||
| 19 दिसम्बर, 2014 | |||
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