Difference between revisions of "पहेली सितम्बर 2017"
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− | ||[[चित्र:Prafulla-Chandra-Ray-1.jpg|100px|right|border|प्रफुल्ल चंद्र राय]]'प्रफुल्ल चंद्र राय' [[भारत]] में 'रसायन विज्ञान के जनक' माने जाते हैं। वे एक सादगीपसंद तथा देशभक्त वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रसायन प्रौद्योगिकी में देश के स्वावलंबन के लिए अप्रतिम प्रयास किए। एक दिन [[प्रफुल्ल चंद्र राय]] जब अपनी प्रयोगशाला में [[पारा|पारे]] और तेजाब से प्रयोग कर रहे थे। इससे मर्क्यूरस नाइट्रेट नामक [[पदार्थ]] बनता है। इस प्रयोग के समय उनको कुछ पीले-पीले क्रिस्टल दिखाई दिए। वह पदार्थ लवण भी था तथा नाइट्रेट भी। यह खोज बड़े महत्त्व की थी। वैज्ञानिकों को तब इस पदार्थ तथा उसके गुणधर्मों के बारे में पता नहीं था। उनकी खोज प्रकाशित हुई तो दुनिया भर में डॉ. राय को ख्याति मिली। उन्होंने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह था अमोनियम नाइट्राइट का उसके विशुद्ध रूप में संश्लेषण। इसके पहले माना जाता था कि अमोनियम नाइट्राइट का | + | ||[[चित्र:Prafulla-Chandra-Ray-1.jpg|100px|right|border|प्रफुल्ल चंद्र राय]]'प्रफुल्ल चंद्र राय' [[भारत]] में 'रसायन विज्ञान के जनक' माने जाते हैं। वे एक सादगीपसंद तथा देशभक्त वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रसायन प्रौद्योगिकी में देश के स्वावलंबन के लिए अप्रतिम प्रयास किए। एक दिन [[प्रफुल्ल चंद्र राय]] जब अपनी प्रयोगशाला में [[पारा|पारे]] और तेजाब से प्रयोग कर रहे थे। इससे मर्क्यूरस नाइट्रेट नामक [[पदार्थ]] बनता है। इस प्रयोग के समय उनको कुछ पीले-पीले क्रिस्टल दिखाई दिए। वह पदार्थ लवण भी था तथा नाइट्रेट भी। यह खोज बड़े महत्त्व की थी। वैज्ञानिकों को तब इस पदार्थ तथा उसके गुणधर्मों के बारे में पता नहीं था। उनकी खोज प्रकाशित हुई तो दुनिया भर में डॉ. राय को ख्याति मिली। उन्होंने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह था अमोनियम नाइट्राइट का उसके विशुद्ध रूप में संश्लेषण। इसके पहले माना जाता था कि अमोनियम नाइट्राइट का तेज़ीसे तापीय विघटन होता है तथा यह अस्थायी होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रफुल्ल चंद्र राय]] |
{किस लेखक ने अपनी प्रारम्भिक [[कविता|कविताएँ]] मेघराज इन्द्र के नाम से लिखी थीं? | {किस लेखक ने अपनी प्रारम्भिक [[कविता|कविताएँ]] मेघराज इन्द्र के नाम से लिखी थीं? | ||
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-[[पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी]] | -[[पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी]] | ||
||[[चित्र:Amritlal-Nagar-2.jpg|100px|right|border|अमृतलाल नागर]]'अमृतलाल नागर' [[हिंदी]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्होंने [[नाटक]], रेडियोनाटक, [[रिपोर्ताज]], [[निबन्ध]], [[संस्मरण]], अनुवाद, बाल साहित्य आदि के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। [[अमृतलाल नागर]] को साहित्य जगत् में उपन्यासकार के रूप में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई तदापि उनका हास्य-व्यंग्य लेखन कम महत्वपूर्ण नहीं है। अमृतलाल नागर ने [[1928]] में छिटपुट एवं [[1932]]-[[1933]] से जमकर लिखना शुरू किया। उनकी प्रारम्भिक [[कविता|कविताएँ]] 'मेघराज इन्द्र' के नाम से, [[कहानी|कहानियाँ]] अपने नाम से तथा व्यंग्यपूर्ण रेखाचित्र-निबन्ध आदि 'तस्लीम लखनवी' के नाम से लिखे। आप कथाकार के रूप में सुप्रतिष्ठित थे। वे 'बूँद और समुद्र' ([[1956]]) के प्रकाशन के साथ [[हिन्दी]] के प्रथम श्रेणी के उपन्यासकारों के रूप में मान्य हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृतलाल नागर]] | ||[[चित्र:Amritlal-Nagar-2.jpg|100px|right|border|अमृतलाल नागर]]'अमृतलाल नागर' [[हिंदी]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्होंने [[नाटक]], रेडियोनाटक, [[रिपोर्ताज]], [[निबन्ध]], [[संस्मरण]], अनुवाद, बाल साहित्य आदि के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। [[अमृतलाल नागर]] को साहित्य जगत् में उपन्यासकार के रूप में सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई तदापि उनका हास्य-व्यंग्य लेखन कम महत्वपूर्ण नहीं है। अमृतलाल नागर ने [[1928]] में छिटपुट एवं [[1932]]-[[1933]] से जमकर लिखना शुरू किया। उनकी प्रारम्भिक [[कविता|कविताएँ]] 'मेघराज इन्द्र' के नाम से, [[कहानी|कहानियाँ]] अपने नाम से तथा व्यंग्यपूर्ण रेखाचित्र-निबन्ध आदि 'तस्लीम लखनवी' के नाम से लिखे। आप कथाकार के रूप में सुप्रतिष्ठित थे। वे 'बूँद और समुद्र' ([[1956]]) के प्रकाशन के साथ [[हिन्दी]] के प्रथम श्रेणी के उपन्यासकारों के रूप में मान्य हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृतलाल नागर]] | ||
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+ | {क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा को हथियार चलाने का प्रशिक्षण किससे मिला था? | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[सुभाषचंद्र बोस]] | ||
+ | -[[भगतसिंह]] | ||
+ | -[[खुदीराम बोस]] | ||
+ | +[[वीर सावरकर]] | ||
+ | ||[[चित्र:Madan-Lal-Dhingra.jpg|100px|right|border|मदन लाल ढींगरा]]'मदन लाल ढींगरा' [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के महान् क्रान्तिकारी थे। स्वतंत्रत [[भारत]] के निर्माण के लिए भारत माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों का उत्सर्ग किया, उन्हीं महान् शूरवीरों में अमर शहीद [[मदन लाल ढींगरा]] का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य हैं। [[1906]] में वे उच्च शिक्षा के लिए [[इंग्लैड]] गये थे, जहां यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया। इसके लिए उन्हें उनके बडे भाई एवं इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहायता मिली। लंदन में मदन लाल ढींगरा [[वीर सावरकर|विनायक दामोदर सावरकर]] और [[श्याम जी कृष्ण वर्मा]] जैसे कट्टर देशभक्तों के संपर्क में आए। सावरकर ने उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। ढींगरा 'अभिनव भारत मंडल' के सदस्य होने के साथ ही 'इंडिया हाउस' नाम के संगठन से भी जुड़ गए थे, जो भारतीय विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक गतिविधियों का आधार था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मदन लाल ढींगरा]] | ||
{'लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी' कहाँ स्थित है? | {'लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी' कहाँ स्थित है? | ||
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-[[अल्मोड़ा]] | -[[अल्मोड़ा]] | ||
||'मसूरी' [[उत्तराखंड]] में प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा शहर है, जिसे 'पहाड़ों की रानी' कहा जाता है। [[मसूरी]] सौंदर्य, शिक्षा, पर्यटन व व्यावसायिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ों के बीच बसा मसूरी [[देहरादून]] का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहाँ स्थित 'लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी' उच्चतर सिविल सेवाओं के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए समर्पित, [[भारत]] का अग्रणी संस्थान है। इसके मुख्य दायित्व हैं- अखिल भारतीय सेवाओं तथा केंद्रीय सेवाओं के सदस्यों को एक संयुक्त आधारिक पाठ्यक्रम के जरिए प्रवेशकालीन प्रशिक्षण प्रदान करना; [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] के अधिकारियों के लिए प्रवेशकालीन तथा प्रवेशोपरांत व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा मिड कॅरिअर प्रशिक्षण प्रदान करना; भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा अन्य सेवाओं के लिए अन्य सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मसूरी]] | ||'मसूरी' [[उत्तराखंड]] में प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा शहर है, जिसे 'पहाड़ों की रानी' कहा जाता है। [[मसूरी]] सौंदर्य, शिक्षा, पर्यटन व व्यावसायिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ों के बीच बसा मसूरी [[देहरादून]] का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहाँ स्थित 'लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी' उच्चतर सिविल सेवाओं के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए समर्पित, [[भारत]] का अग्रणी संस्थान है। इसके मुख्य दायित्व हैं- अखिल भारतीय सेवाओं तथा केंद्रीय सेवाओं के सदस्यों को एक संयुक्त आधारिक पाठ्यक्रम के जरिए प्रवेशकालीन प्रशिक्षण प्रदान करना; [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] के अधिकारियों के लिए प्रवेशकालीन तथा प्रवेशोपरांत व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा मिड कॅरिअर प्रशिक्षण प्रदान करना; भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा अन्य सेवाओं के लिए अन्य सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मसूरी]] | ||
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+ | {"आधुनिक कर्नाटक का निर्माता" किसे कहा जाता है? | ||
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+ | +[[एस. निजलिंगप्पा]] | ||
+ | -[[बी डी जत्ती]] | ||
+ | -[[सिद्धारमैया]] | ||
+ | -[[देवगौड़ा एच. डी.|एच. डी. देवगौड़ा]] | ||
+ | ||[[चित्र:S-Nijalingappa.jpg|right|border|100px|एस. निजलिंगप्पा]]'एस. निजलिंगप्पा' [[1968]]-[[1969]] में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के अध्यक्ष थे। उन्हीं के कार्यकाल में कांग्रेस का विभाजन हुआ था। [[एस. निजलिंगप्पा]] [[1956]] में [[मैसूर]] के [[मुख्यमंत्री]] रहे थे। एस. निजलिंगप्पा को '''आधुनिक कर्नाटक का निर्माता''' कहा जा सकता है। [[1967]] में जब देश के लोगों ने कांग्रेस में विश्वास करना छोड़ दिया, वह इसके अध्यक्ष बने। निजलिंगप्पा के अथक प्रयासों से ही कांग्रेस में फिर से नया जीवन आ गया। लेकिन शायद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में सबसे बड़ी दुःखद घटना उनके अध्यक्ष होने के समय घटी संगठन मोर्चे तथा प्रशासन के उग्र पक्ष के बीच दुर्भाग्यपूर्ण रूप से दरार आ जाना था और निजलिंगप्पा [[इंदिरा गांधी]] के विपक्ष में चले गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एस. निजलिंगप्पा]] | ||
{'अल हिलाल' नामक एक [[उर्दू]] [[अख़बार]] का प्रकाशन किसने प्रारम्भ किया था? | {'अल हिलाल' नामक एक [[उर्दू]] [[अख़बार]] का प्रकाशन किसने प्रारम्भ किया था? | ||
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-[[लखनऊ घराना]] | -[[लखनऊ घराना]] | ||
-[[आगरा घराना]] | -[[आगरा घराना]] | ||
− | ||[[चित्र:Pt-Kishan-Maharaj.jpg|right|border|100px|किशन महाराज]]'किशन महाराज' [[भारत]] के सुप्रसिद्ध [[तबला वादक]] थे। वे [[बनारस घराना|बनारस घराने]] के वादक थे। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[1973]] में '[[पद्म श्री]]' और सन [[2002]] में '[[पद्म विभूषण]]' से भी सम्मानित किया गया था। [[किशन महाराज]] [[तबला|तबले]] के उस्ताद होने के साथ-साथ एक मूर्तिकार, चित्रकार, [[वीर रस]] के [[कवि]] और [[ज्योतिष]] के मर्मज्ञ भी थे। किशन महाराज का ज़िंदगी जीने का अन्दाज़ बहुत बिंदास रहा। उन्होंने ज़िंदगी को हमेशा 'आज' के आइने में देखा और अपनी | + | ||[[चित्र:Pt-Kishan-Maharaj.jpg|right|border|100px|किशन महाराज]]'किशन महाराज' [[भारत]] के सुप्रसिद्ध [[तबला वादक]] थे। वे [[बनारस घराना|बनारस घराने]] के वादक थे। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[1973]] में '[[पद्म श्री]]' और सन [[2002]] में '[[पद्म विभूषण]]' से भी सम्मानित किया गया था। [[किशन महाराज]] [[तबला|तबले]] के उस्ताद होने के साथ-साथ एक मूर्तिकार, चित्रकार, [[वीर रस]] के [[कवि]] और [[ज्योतिष]] के मर्मज्ञ भी थे। किशन महाराज का ज़िंदगी जीने का अन्दाज़ बहुत बिंदास रहा। उन्होंने ज़िंदगी को हमेशा 'आज' के आइने में देखा और अपनी मर्ज़ी |
+ | के मुताबिक़ बिंदास जिया। लुंगी कुर्ते में पूरे मुहल्ले की टहलान और पान की दुकान पर मित्रों के साथ जुटान ताज़िंदगी उनका शगल बना रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[किशन महाराज]] | ||
{सन [[1939]] में [[कांग्रेस]] अध्यक्ष के निर्वाचन में [[भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया]] किससे पराजित हुए थे? | {सन [[1939]] में [[कांग्रेस]] अध्यक्ष के निर्वाचन में [[भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया]] किससे पराजित हुए थे? |
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