चारित्त शील बौद्ध निकाय: Difference between revisions

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Latest revision as of 13:45, 21 March 2014

बौद्ध धर्म के अठारह बौद्ध निकायों में चारित्त शील की यह परिभाषा है:-
जिन कर्मों का सम्पादन करना चाहिए, उनका सम्पादन करना 'चारित्त शील' है। भगवान बुद्ध ने विनय पिटक में भिक्षुओं के लिए जो करणीय आचरण कहे हैं, उनके करने से यद्यपि 'चारित्त्व शील' पूरा हो जाता है। तथापि उन्होंने निर्वाण प्राप्ति के लिए जो मार्ग प्रदर्शित किया है, उसे अपने जीवन में उतारने से ही चरित्त शील, भलीभांति पूरा होता है।

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