आग के इलाक़े में आओ -अजेय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "अजेय् की रचनाएँ" to "अजेय की रचनाएँ")
m (Text replacement - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{स्वतंत्र लेख}}")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{| style="background:transparent; float:right"
{| style="background:transparent; float:right"
|-
|-
Line 82: Line 83:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्र लेख}}
{{समकालीन कवि}}
{{समकालीन कवि}}
[[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:अजेय]][[Category:कविता]]
[[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:अजेय]][[Category:कविता]]
Line 88: Line 90:
[[Category:काव्य कोश]]
[[Category:काव्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:स्वतंत्र लेखन]][[Category:स्वतंत्र लेखन कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 13:19, 26 January 2017

चित्र:Icon-edit.gif यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।
आग के इलाक़े में आओ -अजेय
कवि अजेय
जन्म स्थान (सुमनम, केलंग, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अजेय की रचनाएँ

कब तक टालते रहोगे
एक दिन आना ही होगा तुम्हें
आग के इलाके में
जहाँ जल जाता है वह सब जो तुमने ओढ़ रखा है
और जो नंगा हो जाने की जगह है
जहाँ से बच निकलने का कोई चोर दरवाज़ा नहीं है

तुम्हें आना चाहिए
स्वयं को परखने के लिए
बार-बार
आग के इस इलाके में

ज़रूरी नहीं कि तपकर तुम्हें सोना ही होना है

सौंधी और खरी
बेशक भुरभुरी
मिट्टी होने के लिए जो हवा में उड़ जाती है

और हवा होने के लिए भी
जो भर सकती है तमाम सूनी जगहों को
जो पतला है पानी से भी

और पानी होने के लिए भी
ढोता हुआ अपना पूरा वज़न जो
पहुँच सकता है आकाश तक

और आकाश होने के लिए भी
क्योंकि वही तो था आखिर
जब कुछ भी नहीं था
फिर सब कुछ हुआ जहाँ
और उस प्रचुरता को
भरपूर भोग लेने को उद्धत आतुर जीव भी हुए
और जीवों में श्रेष्ठतम तुम हुए
आदमी
अपनी ही एक आग लिए हुए भीतर

बोलो
खो देना चाहते हो क्या वह आग ?

अगर नहीं
वह आग होने के लिए
फिर से तुम्हें आना चाहिए
बार- बार आना चाहिए
आग के इलाके में !

अगस्त 2007


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

स्वतंत्र लेखन वृक्ष