महाविहार: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} '''महाविहार''' तीसरी शताब्दी ई.पू. के उ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "उत्तरार्द्ध" to "उत्तरार्ध") |
||
(5 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{tocright}} | {{tocright}} | ||
'''महाविहार''' तीसरी शताब्दी ई.पू. के | '''महाविहार''' तीसरी शताब्दी ई.पू. के उत्तरार्ध में सीलोन (वर्तमान [[श्रीलंका]]) की प्राचीन राजधानी, [[अनुराधापुर]] में स्थापित बौद्ध मठ है। सिंहली राजा देवनामपिय तिस्स ने भारतीय भिक्षु महेंद्र द्वारा उन्हें [[बौद्ध]] बनाए जाने के कुछ ही समय बाद इस मठ का निर्माण किया। | ||
==बौद्धों का मुख्य गढ़== | ==बौद्धों का मुख्य गढ़== | ||
क़रीब 10वीं सदी तक यह एक प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र और परंपरावादी (जैसे [[थेरवाद]]) बौद्धों का मुख्य गढ़ रहा। श्रीलंका में [[बौद्ध धर्म]] के अति महत्त्व के कारण महाविहार के भिक्षुओं की प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई कि उनकी शक्ति एवं प्रभाव अक्सर [[धर्म]] की परिधि से बाहर निकलकर धर्मनिपेक्ष राजनीति में हस्तक्षेप करने लगे। | क़रीब 10वीं सदी तक यह एक प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र और परंपरावादी (जैसे [[थेरवाद]]) बौद्धों का मुख्य गढ़ रहा। श्रीलंका में [[बौद्ध धर्म]] के अति महत्त्व के कारण महाविहार के भिक्षुओं की प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई कि उनकी शक्ति एवं प्रभाव अक्सर [[धर्म]] की परिधि से बाहर निकलकर धर्मनिपेक्ष राजनीति में हस्तक्षेप करने लगे। | ||
Line 14: | Line 13: | ||
{{बौद्ध धर्म}} | {{बौद्ध धर्म}} | ||
[[Category:बौद्ध धर्म]] | [[Category:बौद्ध धर्म]] | ||
[[Category:बौद्ध धर्म कोश]] | [[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | ||
[[Category: | [[Category:बौद्ध धार्मिक स्थल]] | ||
[[Category:बौद्ध मठ]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 11:14, 1 June 2017
महाविहार तीसरी शताब्दी ई.पू. के उत्तरार्ध में सीलोन (वर्तमान श्रीलंका) की प्राचीन राजधानी, अनुराधापुर में स्थापित बौद्ध मठ है। सिंहली राजा देवनामपिय तिस्स ने भारतीय भिक्षु महेंद्र द्वारा उन्हें बौद्ध बनाए जाने के कुछ ही समय बाद इस मठ का निर्माण किया।
बौद्धों का मुख्य गढ़
क़रीब 10वीं सदी तक यह एक प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र और परंपरावादी (जैसे थेरवाद) बौद्धों का मुख्य गढ़ रहा। श्रीलंका में बौद्ध धर्म के अति महत्त्व के कारण महाविहार के भिक्षुओं की प्रतिष्ठा इतनी बढ़ गई कि उनकी शक्ति एवं प्रभाव अक्सर धर्म की परिधि से बाहर निकलकर धर्मनिपेक्ष राजनीति में हस्तक्षेप करने लगे।
इतिहास
महाविहार की धार्मिक प्रभुता को पहली बार पहली सदी ई.पू. बौद्ध भिक्षुओं के असनातनी समूह ने चुनौती दी, जिन्होंने अलग होकर अभयगिरि विहार की स्थापना की, हालांकि यह मठ संघ हमेशा विरोध करता रहा। मुख्य रूप से तीसरी एवं सातवीं सदी में कुछ समय के लिए राजसी संरक्षण के अलावा वह महाविहार संघ की आधिकारिक स्थिति पर स्थायी रूप से क़ब्ज़ा नहीं कर सका, परंतु महाविहार का केंद्रीय प्रभुत्व एवं प्रधानता धीरे-धीरे कम होती गई और 11वीं सदी में श्रीलंका के धार्मिक जीवन पर इसका प्रभाव नगण्य हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख